रोहतक पीजीआई एमएस में चल रही तीन दिवसीय क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप
पीजीआईएमएस में डॉक्टरों को वर्कशॉप के माध्यम से शोध की नई तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। अब शोध के लिए पश्चिम वेबसाइटों के स्थान पर भारतीय वेबसाइटों पर फ्री में कंटेट शेयर, विश्लेषण व पढ़ सकते हैं। पीजीआई मेंं मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट की तरफ से तीन दिवसीय क्लिनिकल ट्रायल वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के इंडियन क्लिनिकल ट्रायल एंड एजुकेशन नेटवर्क (इंटेंट) के सहयोग से आयोजित किया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से भारत में शोध को बढ़ावा देने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। दिल्ली व महाराष्ट्र से भी पहुंंची टीम भारत को शोध के क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए ऐसी वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। डॉक्टरों को विषय निर्धारित करने से लेकर नैतिक, कानूनी आदि आयामों का ध्यान रखकर शोध करने की पूरी जानकारी दी जा रही है। इसमें दिल्ली, महाराष्ट्र से भी टीम आई हुई है। 25 प्रतिभागी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। बाहर से आई टीम में तीन दिल्ली, चार महाराष्ट्र से आए सदस्य शामिल हैं। -डॉ. संजय कुमार, विभागाध्यक्ष, पैथालॉजी विभाग। अब पश्चिम वेबसाइटों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं शोध के दौरान विषय पर अन्य शोध को पढ़ने के लिए वेबसाइटों का उपयोग करना पड़ता है। इसके लिए अधिकतर पश्चिम वेबसाइटों पर निर्भर रहना पड़ता है। पैसे लेकर उनका सब्सक्रिप्शन भी लेना पड़ता था। इस कारण डीआरएसएमआई के नाम से अपनी वेबसाइट डिजाइन की है। इसमें शोधकर्ता कंटेट शेयर व फ्री पढ़ सकते हैं। -डॉ. सचिन मुम्बारे, महाराष्ट्र। शोध के लिए आईसीएमआर की तरफ से तीन तरह की ग्रांट वयवस्था: शोध के लिए विषय के हिसाब से छोटी, मध्यम व अडवांस ग्रांट दी जाती है। छोटी ग्रांट में चार करोड़ रुपये, मध्यम में दो करोड़ से आठ करोड़ तक व अडवांस ग्रांट में 15 करोड़ से उपर की राशि दी जाती है। इसके नियम व शर्तें भी करनी पड़ती हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 30, 2025, 10:50 IST
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