Karnataka: GIS तकनीक से दिखाया गया पारदर्शी और कुशल शासन का मॉडल, जानें कर्नाटक सरकार के लिए क्यों अहम

कर्नाटक सरकार ने रविवार को कहा कि राज्य में तकनीक आधारित शासन प्रणाली ने योजना, निगरानी और पारदर्शिता में सुधार किया है। राज्य ने जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) तकनीक के जरिए विभिन्न विभागों और नागरिकों को डिजिटल और स्थान-आधारित डेटा उपलब्ध कराया है। यह कदम राज्य के प्रशासन में कुशलता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है। कर्नाटक राज्य रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस सेंटर (केएसआरएसएसी) ई-गवर्नेंस विभाग के तहत कार्यरत 1986 से जीआईएस तकनीक का उपयोग करके योजना निगरानी और निर्णय लेने में नवाचार ला रहा है। के-जीआईएस प्लेटफॉर्म सरकारी विभागों और नागरिकों को स्थान आधारित डिजिटल डेटा और जानकारी प्रदान करता है। इससे निर्णय लेने में सटीकता बढ़ी है और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हुआ है। यह राज्य के लिए इसलिए अहम है क्योंकि इससे प्रशासन अधिक पारदर्शी और वैज्ञानिक बनता है। भूमि और संपत्ति प्रबंधन भूमि और संपत्ति प्रबंधन में, दिशांक मोबाइल एप्लिकेशन नागरिकों को सीधे जमीन, सर्वे नंबर और आरटीसी (रिकॉर्डस् ऑफ राइट्स) विवरण देखने की सुविधा देता है। इसके अलावा, ई-खाता और ई-स्वातु जैसी एप्लिकेशन ने भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन को पारदर्शी और कुशल बनाया है। नागरिक अब अपने अधिकारों और संपत्ति विवरणों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ट्रैक कर सकते हैं। इससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी आती है। ये भी पढ़ें-कल देशव्यापी एसआईआर का एलान कर सकता है चुनाव आयोग; 10 से 15 राज्यों में पहले चरण में चलेगा अभियान, पढ़ें ग्रामीण विकास, कृषि और पर्यावरण प्रबंधन ग्रामीण विकास के लिए न्यू गांधी साक्षी कायका (एनजीएसके) एप्लिकेशन के जरिए ग्रामीण सड़क परियोजनाओं की जियोफेंसिंग आधारित निगरानी की जाती है। परियोजना प्रगति को राज्य ट्रेजरी सिस्टम से जोड़ा जाता है, जिससे भुगतान प्रक्रिया पारदर्शी होती है। कृषि और पर्यावरण प्रबंधन में स्वाइल सैंपल कलेक्टर एप्लिकेशन मिट्टी के नमूने संग्रह और फ्रूट्स पोर्टल से ऑटोमेटिक लिंकिंग में मदद करता है। फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम और ट्री सेनसस एप्लीकेशन पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में सहायक हैं। ये भी पढ़ें-'मोदी की गले लगने वाली नीति मलयेशिया में नहीं दिखी', ट्रंप के रूसी तेल वाले दावे पर कांग्रेस का तंज शहरी विकास और समग्र लाभ शहरी विकास क्षेत्र में, बीबीएमपी के अंतर्गत पानी की पारगम्यता का अध्ययन शहरी भूजल पुनर्भरण योजना में मार्गदर्शन करता है। जीआईएस विश्लेषण का उपयोग बंगलूरू के परित्यक्त खदानों को जलाशयों में बदलने के लिए किया गया, जिससे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हुआ। के-जीआईएस प्लेटफॉर्म ने योजना से लेकर वास्तविक समय निर्णय लेने तक पारदर्शी, कुशल और नागरिक-केंद्रित शासन सुनिश्चित किया है। यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक साबित हो सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 26, 2025, 17:50 IST
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