Bhopal:MP में बगैर तैयारी शुरू हुआ शव वाहन का संचालन,नहीं मिल पा रहा लाभ,सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर की सुविधा नहीं
मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने आम जनता के लिए 29 जुलाई से एक अच्छी योजना की शुरुआत की है, जिसमें अब प्रदेश में लोगों को अपने परिजनों के शव ले जाने के लिए शव वाहन मुहैया कराए जाएंगे। लेकिन इस सुविधा का लाभ आमजन को अभी तक ठीक से नहीं मिल पा रहा है। दरअसल योजना तो शुरू कर दी गई लेकिन इसे लेकर अभी तक तैयारी अधूरी है। अगर किसी व्यक्ति को इस सुविधा का लाभ उठाना है तो उसके लिए कोई सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर की सुविधा नहीं है। दूसरी सबसे बड़ी कमी यह है कि इस सुविधा का लाभ केवल जिला के अंदर ही दिया जा रहा है। अगर दूसरे जिले के मरीज की मौत होती है और उसे वहां ले जाना है तो इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है।अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर शुरू किया जाएगा। ऐसी परेशानी कम करने के लिए यह योजना एक दिन पहले सिवनी के नागपुर-जबलपुर नेशनल हाईवे पर हुए दर्दनाक हादसे में पत्नी की मौत के बाद पति को सड़क किनारे खड़े होकर मदद मांगनी पड़ी, लेकिन कोई वाहन नहीं रुका। मजबूर होकर उसने पत्नी का शव बाइक की पिछली सीट पर बांधा और 50 किलोमीटर सफर किया। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए यह सेवा शुरू की गई है। दूसरे से कर्ज लेकर ले जाना पड़ा पिता का शव छतरपुर जिले के कटरा गांव के निवासी करण कुशवाहा के पिता हरचरण की शनिवार को मृत्यु हो गई। रविवार सुबह 9 बजे जिला अस्पताल में पीएम किया गया। परिजनों ने अस्पताल से मिलने वाले नि:शुल्क शव वाहन के लिए डॉक्टरों से बात की, तो वे एक-दूसरे पर टालते रहे। कारण ने बताया कि शव वाहन के लिए 108 एंबुलेंस को 9 बार कॉल किया, लेकिन व्यस्त जता रहा। एक बार लगा लेकिन बात नहीं हुई फोन कट गया। उन्होंने बताया की मजबूरी में दूसरे से कर्ज लेकर पिता के शव को घर तक ले गए। हमीदिया में सबसे ज्यादा केस दूसरे जिलों के राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में सबसे ज्यादा दूसरे जिलों के मरीजों की मौत होती है। क्योंकि यहां आसपास के जिलों से सीरियस मरीजों को रेफर किया जाता हैं। ऐसे में जिले के बाहर के लोगों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह भी पढ़ें-सोशल मीडिया पर अपशब्द कहना भी रैगिंग, बीएमएचआरसी में एंटी रैगिंग वीक की शुरुआत में बोलीं मनोवैज्ञानिक आनन-फानन में दिखाई गई थी हरी झंडी बता दें कि इस योजना को मध्य प्रदेश सरकार ने आनन-फानन में हरी झंडी दिखाई थी। दरअसल इन शव वाहनों की खरीदी 25 अप्रैल को की गई थी। 150 शव वाहनों को लाकर भोपाल के एक यार्ड में रखवा दिया गया था। लेकिन, इस योजना को शुरू नहीं किया जा रहा था। इसके पीछे की वजह बताई गई कि इस योजना का शुभारंभ बड़े स्तर पर होना है। इस पर जब सवाल खड़े होने लगे तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने योजना का शुभारंभ कर दिया। यही वजह है कि योजना काअभी तक मैनेजमेंट सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। यह भी पढ़ें-जब इंसानियत मर गई सड़क पर', पत्नी का शव बाइक पर बांध 50 किमी चला बेबस पति, मदद को नहीं रुकी कोई गाड़ी कॉल सेंटर शुरू करने पर किया जा रहा है विचार एनएचएम के एएमडी मनोज कुमार सरेआम ने बताया कि शव वाहनों का संचालन केवल जिला स्तर पर किया जा रहा है। दूसरे जिलों मे सेवा शुरू करने का प्रस्ताव हमने भेजा है। कॉल सेंटर की भी अभी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिए भी हमने प्रस्ताव रखा है। जल्द ही अलग से नंबर जारी किए जाएंगे। जिसमें कॉल करके लोगों को सुविधा का लाभ दिया जाएगा। अभी संबंधित अस्पताल से ही सेवाएं दी जा रही है। शव वाहन संचालन में बड़ी कमियां 1-शव वाहन के प्रति लोगों में अवेयरनेस की कमी, विभाग के तरफ से कोई प्रचार प्रसार नहीं। 2-जिला स्तर की सेवा, डेथ बॉडी दूसरे जिले की तो सुविधा का लाभ नहीं। 3-कोई सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर नहीं जिस पर कॉल करके शव वाहन की सुविधा ली जा सके। 4-शववाहन नहीं मिलने की शिकायत करने की भी कोई व्यवस्था नहीं। 5-निजी एंबुलेंस संचालकों का अस्पताल के बाहर अड़ीबाजी, सरकारी शव वाहनो का नहीं लेने देते फायदा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 12, 2025, 19:54 IST
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