Prayagraj : प्रयागराज की ज्योतिबा फुले डॉ. सुचेत गोइंदी का चंडीगढ़ में निधन, खादी के प्रति रहीं समर्पित

उत्तर प्रदेश में महिला कॉलेज की प्रथम प्राचार्य डॉ.सुचेत गोइंदी नहीं रहीं। सोमवार को चंडीगढ़ में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह संगमनगरी में समाज सेविका के रूप में अग्रणी भूमिका निभाने वालीं डॉ.सुचेत समाज में हो रहे सांस्कृतिक मूल्यों के पतन पर हमेशा आवाज उठातीं और लोगों को प्रेरित भी करती रहीं। सितंबर 1947 में इलाहाबाद स्टेशन पर सुचेत और उनकी बहन कमल गोइंदी तथा संतोष गोइंदी के सिर पर महात्मा गांधी ने ऐसा जादू भरा हाथ रखा कि वह आजीवन सत्याग्रही बन गईं, फिर तो खादी में ही अपना जीवन बिता दिया। सुचेत गोइंदी कोरांव स्थित उत्तर प्रदेश कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट, झूंसी स्थित अनंत शिक्षा निकेतन, कौशाम्बी स्थित भरवारी इंटर कॉलेज में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाती रहीं। संगठन के लोग उन्हें प्रयागराज की सावित्रीबाई फुले कहते थे। डॉ.सुचेत ने ही गंगापार में बेटियों की शिक्षा के लिए सबसे पहली आवाज उठाई और इसके लिए अभियान भी चलाया। यह अभियान उन्होंने तब चलाया, जब प्रयागराज को झूंसी से जोड़ने वाला शास्त्री पुल नहीं बना था। वह फाफामऊ और सोरावं के सहारे गंगापार स्थित कोटवा पहुंचती थीं। उच्च शिक्षा में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने भी उन्हें पुरस्कृत किया था। सामाजिक कार्य व शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य करने के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनकी बड़ी बहन कमल कांग्रेस के टिकट पर विधायक भी बनी थीं। उनके निधन पर सर्वोदयी तथा गांधीवादी रामधीरज ने उन्हें बड़े सरोकारों वालीं समाजसेवी बताया। सीटू महासचिव एवं नागरिक समाज तथा आजादी बचाओ आंदोलन से जुड़े अविनाश कुमार मिश्र ने उन्हें समर्पित गांधीवादी बताया। ट्रेड यूनियन नेता हरिश्चंद्र ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, उनके जाने से प्रयागराज के नागरिक समाज में एक बड़ा निर्वात हो गया है।शहर के अन्य बौद्धिक और सामाजिक वर्ग के लोगों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें नमन किया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 16, 2023, 23:16 IST
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