Saharanpur News: जायरीनों ने की संग्रहीत तबर्रुकात की जियारत

गंगोह। सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक हजरत कुतबे आलम शेख अब्दुल कुद्दूस के 499वें उर्स में मंगलवार को हजरत के मुबारक हाथों से लिखी गई पवित्र कुरान मजीद सहित संग्रहीत तबर्रुकात की जियारत कराई गई। जायरीनों में कलावा-कलौंजी का वितरण किया गया। मंगलवार सुबह हवेली सज्जादा नशीन गुलशन-ए-कुतबे आलम में कार्यक्रम की शुरुआत तिलावते कुराने पाक और नाते पाक से हुई। इसके बाद हक अल्लाह, हक अल्लाह की बुलंद सदाओं के बीच संग्रहीत तबर्रुकात का पिटारा-ए-मुकद्दस बरामद करके छत पर लाया गया। तबर्रुकात की जियारत से पूर्व सज्जादा नशीन शाह महताब आलम ने उनके बारे में जायरीनों को विस्तार से जानकारी दी। सबसे पहले हजरत कुतबे आलम के मुबारक हाथों से लिखी गई कलामे पाक (कुरान शरीफ) की जियारत कराई गई। हजरत की कुलहा मुबारक (टोपी) और पहराहन (कमीज) की जियारत कराई गई। इसके अलावा हजरत सुल्तान इब्राहिम बिन अदहम फारुखी बल्खी, हजरत ख्वाजा मोइनुददीन चिश्ती अजमेरी, हजरत ख्वाजा बख्तियार काकी मेहरौली शरीफ, हजरत बाबा फरीदउद्दीन मसूद गंजशकर, हजरत शमशुद्दीन तुर्क पानीपती, हजरत मखदूम जलालउद्दीन कबीरूल औलिया उस्मानी, हजरत शेखुल आलम पाक अब्दुल हक रूदौलवी, हजरत शेख अहमद आरिफ फारुखी रूदौलवी, हजरत शेख रुकनुद्दीन गंगोही, हजरत शेख बायजीद बुस्तामी, हजरत शेख मखदूम जलालुद्दीन जहानगश्त, हजरत शेख दुरवेश बिन कासिम बहराइची, सिलसिला-ए-कादरिया, चिश्तिया एवं साबरिया के तबर्रुकात की जियारत भी कराई गई। इसके उपरांत मुल्क में अमनों अमान और शांति की दुआ और जायरीनों में कलावा, कलौंजी वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। बुधवार को विदाई कुल शरीफ सलातो सलाम और दुआएं खास के साथ उर्स संपन्न होगा। इसी के साथ जायरीनों की रुखसती भी हो जाएगी।ये रहे मौजूदकार्यक्रम में पूर्व चेयरमैन नोमान मसूद, नायब सज्जादा शाह मख्दूम अली कुद्दूसी, शाह शादाब जहां उर्फ पप्पू मियां, यावर साबरी कलियर, नौमी मियां, कुतब अली, डाॅ. आसिम, जाहिद कुद्दूसी, कौसर कुद्दूसी, काजी नदीम, काजी अदील, हिशाम कुद्दूसी, मुदस्सिर एजाज कुद्दूसी, खालिद कुद्दूसी, हरचरण, रमेश, प्रदीप, बग्गू भगत सहित अनेक दरगाहों के सज्जादा नशीन सहित प्रमुख लोग मौजूद रहे।दरगाह के बजाय आवास पर कराई जा रही जियारतगंगोह। बता दें कि अब तक हजरत कुतबे आलम के उर्स में परंपरागत रूप से संग्रहीत तबर्रुकात की जियारत दरगाह में ही कराई जाती रही है। वर्ष 2021 के उर्स में जुलूस जुब्बा शरीफ निकाला गया था, तब भी जियारत दरगाह में ही कराई गई थी, लेकिन दो वर्षों से दो पक्षों में जुब्बा की रस्म को लेकर विवाद के चलते जुब्बा शरीफ की रस्म नहीं हो सकी। इससे सभी लोग बेहद आहत हैं। इसी कारण सज्जादा नशीन शाह महताब आलम संग्रहीत तबर्रुकात की जियारत दरगाह में न कराकर अपने आवास की छत पर ही करा रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 18, 2023, 00:21 IST
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