Padma Shree: 60 की उम्र में जोधईया बाई बैगा ने थामा ब्रश, 80 की आयु में तस्वीर के साथ तकदीर भी बदल दी

मप्र के उमरिया जिले की आदिवासी चित्रकार जोधईया बाई बैगा को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। बुधवार को जब इस पुरस्कार के लिए उनके नाम का एलान हुआ तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जोधईया बाई को इस राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मान के लिए चुना जाना मप्र व उमरिया के लिए गौरव की बात है। उमरिया के लोढ़ा गांव की आदिवासी चित्रकार जोधईया बाई अब 80 साल की हो गई हैं। खास बात यह है कि उन्होंने 60 साल की उम्र में मजदूरी छोड़कर अपने हाथों में ब्रश थामा था और कागज पर तस्वीरें उकेरना प्रारंभ किया था। इसके अगले 20 सालों में उन्होंने तस्वीर के साथ तकदीर भी बदल डाली। गुरु आशीष स्वामी ने दी शिक्षा-दीक्षा जोधईया बाई को तराशने में उनके गुरु कला निकेतन से फाइन आर्ट में स्नातक आशीष स्वामी का साथ मिला। गुरु आशीष स्वामी द्वारा जोधईया बाई की लगन और मेहनत को देखते हुए उन्होंने उसे बैगा और आदिवासी कला से संबंधित चित्र बनाने की शिक्षा-दीक्षा दी। देखते-देखते चंद सालों में जोधईया बाई ने अपना नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहुंचा दिया।चूंकि, अब आशीष स्वामी इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके प्रयासों ने आज जोधइया बाई के माध्यम से उमरिया जिले को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया। पहले भी भेजा गया नाम पर पद्मश्री से वंचित रहीं इसके पहले भी एक बार अंतरराष्ट्रीय चित्रकार जोधईया बाई बैगा का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए भेजा गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से उनका चयन नहीं हो सका। बाद में उन्हें राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार नारी सम्मान से नवाजा गया। उन्हें दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति सम्मान से नवाजा गया। अब उन्हें अपनी चित्रकारी के दम पर वह मुकाम हासिल हो ही गया, जिसकी वे सच्ची हकदार थीं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 26, 2023, 14:39 IST
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