Sirmour News: हिमाचल-उतराखंड राज्य से सीमांकन न होने से हर वर्ष करोड़ों की चपत

पांवटा साहिब (सिरमौर)। उतराखंड के गठन के 23 वर्षों बाद भी हिमाचल-उतराखंड राज्य का सीमांकन नहीं हो सका है। दोनों राज्यों के बीच यमुना और टौंस नदी का करीब 27 किलोमीटर का क्षेत्र साथ-साथ लगता है। केवल जून 2013 में सीमा निर्धारण को संयुक्त सर्वे को टीमें जरुर गठित हुई थी। ऐसे में सीमांकन न हो पाने का पूरा लाभ अवैध खननकारी उठा रहे है। इससे दोनों ही राज्यों को हर वर्ष करोड़ों की चपत लग रही है। उतर प्रदेश से 9 नवंबर 2000 को अलग होकर उतराखंड राज्य का गठन हुआ था। यमुना नदी पर करीब 17 किलोमीटर व टौंस नदी पर करीब 10 किलोमीटर हिमाचल-उतराखंड राज्यों की सीमा साथ लगती है। दोनों नदियों में सर्वाधिक उप खनिज रेत, बजरी व पत्थर प्रचुर मात्रा में रहता है। पांवटा साहिब के यमुनापुल से लेकर डाकपत्थर बैराज और रामपुर मंडी समेत क्षेत्र से लेकर हरियाणा तक सीमा लगती है। इन स्थलों से हर वर्ष करोड़ों का अवैध खनन होता है। दो दशकों से अधिक समय से भी सीमा विवाद के निपटारे को लेकर उत्तराखंड और हिमाचल की तरफ से गंभीर प्रयास नहीं हो पाए। जून 2013 में ही एक बार सीमा निर्धारण को दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों के संयुक्त सर्वे के लिए देहरादून के जिलाधिकारी ने सिरमौर के उपायुक्त को पत्र भेजा था। इसके बाद सर्वे के लिए विकासनगर के उपजिलाधिकारी अशोक पांडेय के नेतृत्व में कमेटी गठित कर दी गई, लेकिन कोई ठोस समाधान ही नहीं निकल सका। सीमांकन विवाद का फथायदा उठा रहा खनन माफिया राज्य के सीमा विवाद का सीधा फायदा अवैध खनन माफिया उठाता रहा है। पांवटा की राज्य सीमा अवैध खनन के लिए संवेदनशील क्षेत्र में है। हिमाचली सीमा से भी खनन कर उप खनिज संपदा को उतराखंड में पंहुचाया जाता है। छापामारी होने पर उतराखंड में वाहन दौड़ जाते है। एक दशक पहले सिरमौर के खनन अधिकारी के वाहन का उत्तराखंड क्षेत्र में घेराव किया गया। जबकि मार्च 2013 में भंगानी क्षेत्र में अवैध खनन से रोकने पर कुछ लोग चौकीदार को उत्तराखंड उठा ले गए थे। पिछले वर्ष भी पांवटा के खनन निरीक्षण संजीव कुमार को छापेमारी के दौरान रात को उतराखंड उठा ले गए थे, जो किसी तरह चुंगल से छूट कर वापिस पहुंचे थे। क्रशर संघ जिला सिरमौर अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा का कहना है कि सीमा निर्धारण को लेकर संयुक्त सर्वे करवाना जरुरी है। इससे हिमाचल सरकार को करोड़ों का राजस्व मिल सकता है। इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उतराखंड नदी क्षेत्र सीमांकन करवाया जाएगा : हर्षवर्धन हिमाचल के उद्योग, संसदीय कार्य एवं आयुष मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि दोनों राज्यों का सीमा निर्धारण राज्य सरकार स्तर का मामला है। उतराखंड सरकार के समक्ष मामला उठाया जाएगा। दोनों राज्यों को अवैध खनन से भारी राजस्व की क्षति होती है। इसलिए, सीमांकन करवा कर स्थाई समाधान करवाया जाएगा। .सुरेश/आशु

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 01:00 IST
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