MCD Mayor Election: हंगामा क्यों बरपा? AAP को किस बात का डर, क्या BJP बना लेगी अपना मेयर?

शुक्रवार को एकीकृत दिल्ली नगर निगम के मेयर (MCD Mayor Election) का चुनाव होना तय था। लेकिन जैसे ही पीठासीन अधिकारी ने मनोनीत सदस्यों को शपथ ग्रहण कराना शुरू किया, हंगामा शुरू हो गया। आम आदमी पार्टी नेताओं ने निर्वाचित सदस्यों से पहले मनोनीत सदस्यों को शपथ ग्रहण करने का विरोध किया। उसका आरोप है कि भाजपा नियमों में बदलाव कर मेयर पद हथियाना चाहती है। वहीं, भाजपा सदस्यों को अपने अनुसार शपथ ग्रहण करने पर अड़ी थी। दोनों दलों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि नेताओं के बीच हाथापाई शुरू हो गई। इसमें दोनों दलों के कुछ नेताओं को चोटें आई हैं। मारपीट के लिए दोनों ही दलों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है। सदन के बाहर अंबेडकर की मूर्ति के पास पहुंचकर भी दोनों दलों के नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दरअसल, इस पूरे विवाद के पीछे मेयर पद पर कब्जा करने की कोशिश बताया जा रहा है। आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने अमर उजाला से कहा कि भाजपा ने नियमों के खिलाफ जाकर पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया। परंपरा के अनुसार सदन में बहुमत प्राप्त दल से ही पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाता है, लेकिन भाजपा ने उपराज्यपाल के माध्यम से अपना पीठासीन अधिकारी नियुक्त करवा दिया। अब इनके माध्यम से परंपरा से उलट जाकर निर्वाचित सदस्यों से पहले मनोनीत सदस्यों को शपथ ग्रहण करवा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नियमों में बदलाव कर मनोनीत सदस्यों को भी मेयर पद के लिए वोटिंग में मतदान का अधिकार देना चाहती है। यही इस पूरे विवाद की जड़ है। आप सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को तोड़ने की कोशिश है जिसे स्वीकार नहीं किया जायेगा। बहुमत है तो डर क्यों भाजपा नेता मनोज तिवारी ने अमर उजाला से कहा कि अरविंद केजरीवाल ने स्वयं को अराजक और कानून-व्यवस्था को न मानने वाला बताया था। आज उनके नेताओं ने उनकी बात को सही साबित कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने सदन में मारपीट की। उन्होंने महिलाओं के साथ अभद्रता करने की कोशिश की। मनोज तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के पास नगर निगम में पूर्ण बहुमत है, लेकिन इसके बाद भी वे हंगामा कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल अपनी ही पार्टी के पार्षदों पर बिकने का आरोप लगा रहे हैं। शायद उन्हें पता है कि उनके पार्षद उनके साथ नहीं हैं। यही कारण है कि वे हंगामा कर मेयर चुनाव में बाधा डालना चाहते हैं। अंकगणित किसके साथ नगर निगम के लिए होने वाले मेयर के चुनाव में 250 पार्षद, सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और दिल्ली विधानसभा के 14 विधायक वोट देते हैं। कुल 274 वोटों में बहुमत पाने वाले प्रत्याशी को मेयर घोषित किया जायेगा। इसमें भाजपा के पास 104 पार्षद, 7 लोकसभा सांसद और एक विधायक हैं। इस प्रकार भाजपा के पास 112 वोट हैं। जबकि आम आदमी पार्टी के पास 134 पार्षद, तीन राज्यसभा सांसद और 13 विधायकों का वोट है। इस प्रकार आम आदमी पार्टी के पास 150 सदस्यों का मत है और उसका मेयर बनना लगभग तय है। चूंकि, नगर निगम के मेयर के चुनाव में व्हिप जारी नहीं होता, किसी भी पार्टी का कोई सदस्य किसी भी प्रत्याशी को वोट कर सकता है। इसके लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। लेकिन मनोनीत सदस्य अन्य सेक्टोरल कमेटियों के चयन प्रक्रिया में वोट कर सकते हैं। इससे आम आदमी पार्टी को क़ई कमेटियों में अधिकतर खोना पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि असली विवाद इसी मामले को लेकर है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 06, 2023, 16:53 IST
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