याचिकाकर्ता की अपील खारिज: कोर्ट ने कहा- पति की मां पर निंदनीय आरोप लगाना मानसिक क्रूरता
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की वैधता पर सवाल उठाकर उन्हें अपशब्द कहना और उनकी मां के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाना वैवाहिक क्रूरता माना है। अदालत ने कहा पति की मां पर निंदनीय आरोप लगाना तलाक का आधार है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट द्वारा प्रतिवादी-पति के पक्ष में दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखा। याचिकाकर्ता-पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दावा किया था कि फैमिली कोर्ट ने उनके खिलाफ की गई क्रूरता के कृत्यों पर विचार नहीं किया और पति को गलत तरीके से तलाक दे दिया। उन्होंने दावा किया कि प्रतिवादी ने जाति-आधारित टिप्पणियां करके उनका अपमान किया, पेशेवर जिम्मेदारियों के बावजूद उन्हें घरेलू काम करने के लिए मजबूर किया और उनके खिलाफ झूठी और तुच्छ मुकदमेबाजी की। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा क्रूरता के जवाबी दावे करने मात्र से उनके द्वारा की गई सिद्ध क्रूरता के कृत्य स्वतः समाप्त नहीं हो जाते। कोर्ट ने कहा, दो गलतियां मिलकर सही नहीं हो जातीं। याचिकाकर्ता के सिद्ध क्रूरता के कृत्य, जिसमें अपमानजनक भाषा का उपयोग, शारीरिक हिंसा और सामाजिक अलगाव शामिल है, अपने आप में इतने गंभीर हैं कि विवाह को भंग करने की मांग को उचित ठहराते हैं। पत्नी ने मां पर लगाए थे अभद्र आरोप कोर्ट ने नोट किया कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी को घृणित, अपमानजनक और निंदनीय संदेश भेजे, जिसमें उनकी वैधता पर सवाल उठाए गए और उनकी मां के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए गए। कोर्ट ने कहा, नौ मई 2011, 15 मई 2011 और 27 जून 2011 को भेजे गए विशिष्ट संदेशों में बास्टर्ड, सन ऑफ बिच जैसे शब्द और यह सुझाव कि उनकी मां को वेश्यावृत्ति के माध्यम से कमाई करनी चाहिए, अपने आप में सबसे गंभीर प्रकार की मानसिक क्रूरता को दर्शाते हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 24, 2025, 20:54 IST
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