Varanasi News: बीएचयू के कुलपति प्रो. अजित बोले- लंबे-चौड़े सीवी के लिए नहीं दिए जाते नोबेल पुरस्कार
बीएचयू कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि नोबेल पुरस्कार लंबे-चौड़े सीवी या असंख्य रिसर्च प्रकाशनों के लिए नहीं, बल्कि उन मौलिक विचारों के लिए दिया जाता हैं जो किसी विषय की समझ को मूल तौर पर बदल देते हैं। चाहे वह साहित्य हो, अर्थशास्त्र हो या विज्ञान। अनुसंधान ऐसा होना चाहिए जिसकी पूरी दुनिया में कहीं से भी आलोचना की जा सके और यदि वह रिसर्च ऐसी कठोर समीक्षा में टिक सके तो वे वास्तव में उस मान्यता के योग्य होते हैं जो उन्हें प्राप्त होती है। हर नोबेल पुरस्कार सृजनशीलता और मौलिक विचार की शक्ति का उत्सव है। स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों को गिनाया। टैगोर पर दिखता है गीता का प्रभाव विश्वभारती विश्वविद्यालय शांति निकेतन के प्रो. अमृत सेन ने कहा कि टैगोर अपनी अंतिम रचना क्राइसिस एंड सिविलाइजेशन में कहते हैं, मनुष्य में विश्वास खोना पाप है। जबकि साहित्यकार क्रास्नाहोर्काई प्रलय के समय में मानव धैर्य और उससे निकलने के मार्ग की चर्चा करते हैं। कम समय में पश्चिम में टैगोर के साहित्य की ख्याति पर उन्होंने बताया कि उस समय पश्चिम एक ऐसे व्यक्तित्व की तलाश में था जो अध्यात्म और व्यावहारिकता के बीच पुल का काम कर रहा था। अशांत विश्व के लिए एक दृष्टि प्रस्तुत की। पश्चिम को जिस शांति की तलाश थी, वह भारत की आध्यात्मिक परंपरा से मिली। उस युग के एक अन्य महान चिंतक, फ्रेडरिक नीत्शे ने भी उल्लेख किया था कि टैगोर पर गीता पर लेखन का गहरा प्रभाव पड़ा था।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 14, 2025, 15:38 IST
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