Bhopal News: पराली और गार्डन वेस्ट से तैयार होगा ईंधन, लगेगा 10 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो-ब्रिकेट प्लांट

भोपाल अब कचरे से ऊर्जा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाने जा रहा है। राजधानी में पहली बार नगर निगम 10 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो ब्रिकेट प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है, जो पराली और गार्डन वेस्ट से स्वच्छ ईंधन तैयार करेगा। शहर की हवा को दूषित करने वाला यही कचरा अब उद्योगों और घरों में कोयले का सस्ता और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प बनने वाला है।नगर निगम आयुक्त संस्कृति जैन ने प्रस्तावित प्लांट की तकनीक और मॉडल का निरीक्षण कर समझा कि यह प्लांट कैसे ग्रीन वेस्ट को वैल्यू-एडेड फ्यूल में बदलकर नगर निगम की आय भी बढ़ाएगा। लोकेशन तय होना बाकी है, लेकिन क्षमता 10 टन प्रतिदिन निश्चित कर दी गई है। क्यों जरूरी है बायो ब्रिकेट प्लांट नगर निगम के अनुसार शहर में पराली, गार्डन वेस्ट और कृषि अपशिष्ट की मात्रा लगातार बढ़ रही है। इनका निस्तारण फिलहाल बड़ी चुनौती है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं से वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ब्रिकेट प्लांट के माध्यम से इस वेस्ट को उपयोगी ईंधन में बदला जा सकेगा, जिससे वायु प्रदूषण पर भी नियंत्रण मिलेगा। ब्रिकेट से तैयार ईंधन कोयले का वैकल्पिक विकल्प माना जाता है और उद्योगों, बॉयलरों, हीटिंग सिस्टम और घरेलू उपयोग में काम आता है। यह पारंपरिक कोयले की तुलना में कम प्रदूषण पैदा करता है। परियोजना के तीन बड़े लक्ष्य खेतों में जल रही पराली पर रोक शहर के ग्रीन वेस्ट का वैज्ञानिक निस्तारण उद्योगों व घरेलू उपयोग के लिए सस्ता, स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन उपलब्ध कराना यह भी पढ़ें-78वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा की शुरुआत, चार दिन तक चलेंगी तकरीरें, 19 देशों के जायरीनों का आना जारी 🔧 कैसे काम करेगा प्लांट 1. कच्चा माल इकट्ठा करना: खेतों व बागवानी क्षेत्रों से वेस्ट प्लांट में लाया जाएगा। 2. क्रशिंग: वेस्ट को मशीन से 3 मिमी से कम आकार में क्रश किया जाएगा। 3. सुखाना: ड्रायर के जरिए सामग्री में सिर्फ 15% नमी छोड़ी जाएगी। 4. ब्रिकेटिंग: हाई-प्रेशर मशीनें वेस्ट को ठोस ईंधन ब्रिकेट में बदल देंगी। यह भी पढ़ें-नवंबर में ही कांपा मध्यप्रदेश, इंदौर-भोपाल में पारा रिकॉर्ड स्तर तक गिरा, चल रही शीतलहर पीपीपी मॉडल पर स्थापित होगा प्लांट आयुक्त संस्कृति जैन ने बाताया कि प्लांट पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया जाएगा। इसकी क्षमता 10 टन प्रतिदिन होगी। इससे जहां ग्रीन वेस्ट का सही ढंग से निपटारा होगा, वहीं निगम को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी। दरअसल शहर में रोजाना टनों ग्रीन वेस्ट निकलता हैपेड़ कटाई, पार्कों की सफाई और गार्डनिंग से। अब तक इसका निपटान नगर निगम के लिए बड़ी चुनौती रहा है। नया प्लांट इस समस्या का स्थायी समाधान बन सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 15, 2025, 09:03 IST
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