Champawat News: भोग प्रमाणीकरण की कतार में कुमाऊं के तीन गुरुद्वारे

चंपावत/रीठा साहिब। धार्मिक स्थलों पर मिलने वाले प्रसाद के स्वच्छ और सुरक्षित होने के प्रमाणीकरण की दिशा में कुमाऊं में भी काम शुरू हो गया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ब्लिसफुल हाइजिन ऑफरिंग टू गॉड (भोग) यानी ईश्वर को आनंदपूर्ण स्वच्छ चढ़ावा पहल के तहत कुमाऊं के तीन गुरुद्वारों को जोड़ा जा रहा है। तीनों को भोग प्रमाणीकरण से जोड़ा जाएगा। श्रद्धालुओं को मिलने वाले प्रसाद की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने के लिए भोग प्रमाणीकरण की योजना लागू की गई है। हल्द्वानी, नानकमत्ता, चंपावत जिले के गुरुद्वारे का भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तहत पंजीकरण हो चुका है। इन गुरुद्वारे में लंगर में दाल, सब्जी, रोटी, पूड़ी, चावल और प्रसाद में कड़ा प्रसाद (हलुवा) श्रद्धालुओं को दिया जाता है। सालभर में डेढ़ करोड़ से अधिक लोग लंगर छकते हैं। भोग प्रमाणीकरण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शनिवार को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल कुमार मिश्रा और खाद्य सुरक्षा अधिकारी योगिता तिवारी की टीम ने रीठा साहिब गुरुद्वारा पहुंचे। उन्होंने रसोई, खाद्य गोदाम, खाने पीने की सामग्री, बर्तनों की सफाई सहित जरूरी व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।अगला कदमइस मुआयने के बाद उत्तराखंड सरकार की ओर से नामित थर्ड पार्टी तीनों गुरुद्वारों के खानपान व्यवस्थाओं का ऑडिट करेगी। संतोषजनक रिपोर्ट और प्रशिक्षण के बाद ऑडिट करने वाली टीम प्रमाणीकरण के लिए एफएसएसएआई से अनुशंसा करेगी। इसके आधार पर भोग प्रमाणीकरण प्रमाणपत्र जारी होगा। चंपावत के रीठा साहिब गुरुद्वारे सहित उत्तराखंड में हर जिले के एक-एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल का भोग योजना के तहत चयन किया गया है। सुरक्षा, स्वच्छता, गुणवत्ता के साथ प्रसाद बनाने के लिए ये व्यवस्था लागू की जा रही है। रीठा साहिब गुरुद्वारे की व्यवस्था बेहतर पाई गई है।- अनिल कुमार मिश्रा, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, चंपावत। गुरु नानक जी के चमत्कार का समागम है रीठा साहिब चंपावत। जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर रीठा साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी की साधना और चमत्कारों का समागम रहा है। वर्ष 1505 में खुद गुरुनानक जी ने यहां आध्यात्मिक चमत्कार दिखाए थे जिसके बाद यहां के कड़ुवे रीठे मीठे हो गए थे। यही रीठे प्रसाद में श्रद्धालुओं को दिए जाते हैं। लधिया और रतिया नदी के संगम पर स्थित रीठा साहिब को यह गुरुद्वारा देश-विदेश में पहचान दिलाता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 21, 2023, 23:42 IST
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