Saharanpur News: बीच में छोड़ा इलाज, बन गए सामान्य से गंभीर टीबी मरीज

सहारनपुर। बीच में दवा छोड़ देने से टीबी के सामान्य मरीज भी गंभीर होते जा रहे हैं। ऐसे मरीजों को ड्रग मल्टी रेसिस्टेंट (एमडीआर) का मरीज कहा जाता है। अब एमडीआर के मरीजों का फिर से इलाज शुरू किया गया है। कम से कम एक साल तक नियमित दवा खानी पड़ेगी। यदि लापरवाही बरती तो मरीज की मौत भी हो सकती है।जनपद को हर हाल में 2025 तक टीबी मुक्त करना है। टीबी सैनेटोरियम में ओपीडी होती है, जिसमें प्रतिदिन 100 से 110 मरीज चिकित्सकों को दिखाने के लिए पहुंचते हैं। ड्रग मल्टी रेसिस्टेंट (एमडीआर) के मरीजों को भर्ती करने के लिए 18 बेड का अलग वार्ड बना हुआ है। जनपद में 5900 टीबी रोगी हैं, जबकि 348 ऐसे सामान्य टीबी के मरीज थे, जो अब एमडीआर के मरीज बन गए हैं। ये मरीज पहले सामान्य श्रेणी के थे, अब इनका कम से कम एक साल तक चलेगा। दवा छोड़ने पर इन मरीजों की मौत भी हो सकती है। इलाज के दौरान बिना कोर्स दवा बंद कर देना, नियमित रूप से आवश्यक जांच न करवाना भी एक सामान्य टीबी मरीज को एमडीआर बना देता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सर्वेश कुमार ने बताया कि जनपद में 348 एमडीआर टीबी रोगी हैं। जांच कराकर एमडीआर मरीजों का पता लगाएं एमडीआर मरीजों का पता लगाकर उनकी जांच कराएं। क्योंकि, ये मरीज ज्यादा खतरनाक होते हैं। एक एमडीआर मरीज 15 से 20 सामान्य नागरिकों को टीबी दे सकता है। एमडीआर मरीजों का इलाज बेहद कठिन हो जाता है। ऐसे में बिना चिकित्सक के सलाह के दवा न छोड़ें।टीबी के लक्षण-दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना-खांसी के साथ बलगम आना-बलगम में कभी-कभी खून आना-सीने में दर्द होना-शाम को हल्का बुखार आना-वजन कम होना और भूख न लगना

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 20, 2023, 23:43 IST
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