Delhi : एनजीओ के भरोसे है लावारिस कुत्तों को पकड़कर नसबंदी कराने का काम, एमसीडी ने शुरू की जगह की तलाश

राजधानी में लावारिस कुत्तों को पकड़ने की पूरी जिम्मेदारी फिलहाल गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के कंधों पर है। एमसीडी इनके माध्यम से कुत्तों की नसबंदी करवाता है और उन्हें पकड़ने में इनकी मदद लेता है। एमसीडी के पास खुद वाहन और कर्मचारी हैं, लेकिन संख्या बेहद कम होने के कारण बड़ी संख्या में शिकायतें आने पर उसको एनजीओ पर ही निर्भर रहना पड़ता है। एमसीडी ने कुत्तों की नसबंदी के लिए 20 केंद्र बना रखे हैं, जिनमें से फिलहाल 13 केंद्रों पर काम चल रहा है। यह सभी केंद्र एनजीओ की देखरेख में संचालित हो रहे हैं। एमसीडी अधिकारियों के मुताबिक तीनों नगर निगम के एकीकरण के बाद वर्ष 2022-23 में 60 हजार कुत्तों की नसबंदी की गई थी। उसके बाद वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 80 हजार तक पहुंचा, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.30 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में एक अप्रैल से 31 जुलाई तक ही 40 हजार कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष और वर्तमान वर्ष के दौरान प्रतिमाह लगभग 10 हजार कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जा रही है। वर्तमान नियमों के तहत नसबंदी के बाद कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के सोमवार को आए आदेश ने स्थिति बदल दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कुत्तों को पकड़ कर शेल्टर में रखा जाए। इस आदेश को लागू करने के लिए एमसीडी को बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाने होंगे। इसका मतलब है कि अब न सिर्फ कुत्तों को पकड़ना और नसबंदी करना होगा, बल्कि उनके लिए स्थायी या दीर्घकालिक आश्रय स्थलों की भी व्यवस्था करनी होगी। अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा ढांचे और संसाधनों के आधार पर यदि सिर्फ एनजीओ पर निर्भर रहा जाए तो सभी कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी करने में कई साल लग जाएंगे। इस कारण उसका अपनी टीम बढ़ानी होगी, वाहन बढ़ाने होंगे और नसबंदी केंद्रों की क्षमता में विस्तार करना होगा। एमसीडी के सामने अब दोहरी चुनौती है। पहली, तेजी से नसबंदी अभियान चलाकर कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण पाना और दूसरी, कोर्ट के आदेश के तहत उनके लिए पर्याप्त आश्रय स्थलों की व्यवस्था करना। लावारिस कुत्तों पर नकेल कसने की तैयारी सुप्रीम कोर्ट के सोमवार को आए आदेश के मद्देनजर एमसीडी ने लावारिस कुत्तों को पकड़कर सुरक्षित रखने के लिए काम शुरू कर दिया है। पशु विभाग फिलहाल ऐसे स्थानों की तलाश में जुटा है जो खाली हो और अगले कुछ वर्षों तक अन्य किसी काम में उपयोग होने की संभावना नहीं है। इन स्थानों को अस्थायी रूप से कुत्तों को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। एमसीडी के सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार से भी ऐसे स्थल उपलब्ध कराने पर बातचीत शुरू की गई है, जहां बड़ी संख्या में पकड़े गए कुत्तों को अस्थायी रूप से रखा जा सके। बताया जा रहा है कि कुत्तों को पकड़ने का अभियान आने वाले दिनों में मौजूदा गति से कहीं अधिक तेज होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी को आठ सप्ताह में 5,000 कुत्ते पकड़ने का लक्ष्य दिया है, जिसे पूरा करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। स्वतंत्रता दिवस समारोह को देखते हुए फिलहाल एमसीडी की सभी टीमें लाल किले और उसके आसपास के इलाकों में केंद्रित हैं। केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों से इस क्षेत्र से कुत्तों को तुरंत हटाने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, विशेष अभियान के तहत सबसे पहले उन कुत्तों को पकड़ा जाएगा जिनके बारे में स्थानीय लोगों की ओर से शिकायतें दर्ज कराई जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के मद्देनजर लाल किला और आसपास के क्षेत्रों में कुत्तों की मौजूदगी पर सख्ती से कार्रवाई हो रही है। यहां से मंगलवार को 60 कुत्ते पकड़े हैं। इसके बाद अभियान पूरे शहर में चलाया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, अभी जो अभियान चल रहा है उसमें प्रतिदिन सीमित संख्या में कुत्ते पकड़े जा रहे हैं। आने वाले दिनों में टीमों की संख्या और पकड़ने की गति बढ़ाई जाएंगी। इसके लिए अधिक वाहन, पिंजरे और प्रशिक्षित स्टाफ की व्यवस्था की जा रही है। उनका कहना है कि आठ सप्ताह में पांच हजार कुत्ते पकड़ने का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं है, क्योंकि एमसीडी ने गत चार माह में करीब 40 हजार कुत्ते पकड़े हैं। उनके समक्ष पकड़े जाने वाले कुत्तों को रखने और उनके खाने की व्यवस्था करना चुनौती है। इसी वजह से एमसीडी ऐसे स्थानों की तलाश में है, जहां न केवल कुत्तों को रखा जा सके। इस बीच नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने भी घोषणा की है कि वह बुधवार से आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान शुरू करेगी। एनडीएमसी का फोकस सरकारी दफ्तरों, बाजारों और पार्कों के आसपास के क्षेत्रों पर रहेगा। उसके इलाके में करीब 10 हजार कुत्ते हैं। हालांकि उनके पास कुत्ते रखने के लिए शेल्टर नहीं है। वहीं, दिल्ली छावनी बोर्ड ने कुत्ते पकड़ने के लिए एक्शन प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है। छावनी बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे क्षेत्र में सेना और आम नागरिक रहते हैं। ऐसे में सुरक्षा और स्वच्छता हमारे लिए प्राथमिकता हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 13, 2025, 02:29 IST
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