RBI: 'स्टेबलकॉइन नीतिगत संप्रभुता के लिए जोखिम; इनसे बचना ही बेहतर', बोले आरबीआई के डिप्टी गवर्नर

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने गुरुवार को कहा कि स्थिर मुद्रा (स्टेबलकॉइन) नीतिगत संप्रभुता के लिए बड़ा जोखिम हैं। उन्होंने संकेत दिया कि भारत इस उपकरण को लागू करने से बचेगा, भले ही यह परिसंपत्ति समर्थित हो। स्थिर मुद्राएं या स्टेबलकॉइन, ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती हैं, जिसकी कीमत स्थिर (Stable) रखी जाती है। बिटकॉइन या एथेरियम की तरह इसकी कीमत ऊपर-नीचे बहुत ज्यादा नहीं होती। हर स्टेबलकॉइन के पीछे एक असली परिसंपत्ति (Asset) जैसे डॉलर या सोना होती है। घरेलू तरलता की स्थिति में चुनौतियों के कुछ संकेत मिलने के बीच शंकर ने कहा कि आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि उत्पादक उद्देश्यों के लिए धन की कोई कमी न हो। उन्होंने आश्वासन दिया कि, "तरलता की कमी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होंगी।" एक कार्यक्रम के दौरान शंकर ने कहा, "हमारा यह स्पष्ट मत है कि स्टेबलकॉइन ऐसे उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते हैं, जिसे सीबीडीसी (केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा) के साथ बेहतर ढंग से पूरा नहीं किया जा सकता है, और स्टेबलकॉइन को पेश करने से बहुत सारी नीतिगत चिंताएं और समस्याएं पैदा होंगी, जिनसे बचना ही बेहतर है।" यह स्वीकार करते हुए कि क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, बिटकॉइन और स्टेबलकॉइन परिसंपत्ति-समर्थित हैं, शंकर ने इस उपकरण के जोखिमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, "क्योंकि वे समर्थित हैं, इसलिए स्टेबलकॉइन का मूल्य प्रश्न में नहीं है। लेकिन एक अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए स्टेबलकॉइन का जोखिम यह है कि यह आपकी मुद्रा और आपकी नीतिगत संप्रभुता को प्रतिस्थापित करने का एक बड़ा जोखिम उठाता है।" शंकर ने क्रिप्टोकरेंसी पर केंद्रीय बैंक के विचारों को दोहराया और साफ किया किया कि ऐसी 'मुद्राएं' किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती हैं और ऐसे उपकरणों की कोई आवश्यकता नहीं है। सीबीडीसी के बारे में उन्होंने कहा कि भारत तेजी से आगे नहीं बढ़ेगा और इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के 70 से अधिक देशों ने अपने सीबीडीसी पेश किए हैं, लेकिन हर कोई "धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है"।शंकर ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत ई-रुपी की शुरुआत के बाद से दो वर्षों में भारत में 10 करोड़ से अधिक सीबीडीसी लेनदेन हुए हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 30, 2025, 20:44 IST
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