Odisha Train Accident: 'ट्रेन हादसे को सांप्रदायिक रंग दे रहे सोशल मीडिया अकाउंट', पुलिस बोली- करेंगे कार्रवाई
ओडिशा पुलिस ने रविवार को कहा कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट बालासोर जिले में हुए भीषण ट्रेन हादसे को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं। ओडिशा पुलिस के अनुसार, शुक्रवार शाम को दो यात्री ट्रेनों और एक मालगाड़ी की टक्कर और पटरी से उतर जाने को कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा दुर्भावनापूर्ण रूप से सांप्रदायिक रूप दिया गया। पुलिस ने सभी से बालासोर दुर्घटना के बारे में इस तरह के भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट साझा करने से परहेज करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि झूठे और दुर्भावनापूर्ण सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से समुदायों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काने की कोशिश करने वाले के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राज्य पुलिस ने अपने बयान में कहा कि हम सभी संबंधित लोगों से अपील करते हैं कि वे इस तरह के झूठे और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट प्रसारित करने से बचें। जो लोग अफवाह फैलाकर सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आगे कहा कि राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) दुर्घटना की जांच करने और मामले के सभी पहलुओं से जांच कर रही है। सरकारी रेलवे पुलिस जीआरपी, ओडिशा द्वारा दुर्घटना के कारणों और अन्य सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। बालासोर हादसा : सोशल मीडिया पर विपक्ष की भी खिंचाई बालासोर हादसे को लेकर विपक्ष जहां केंद्र सरकार पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस के कार्यकाल में हुए हादसों को लेकर सोशल मीडिया पर लोग भी उसकी खिंचाई कर रहे हैं। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर कहा, साल 2011 में 24 घंटे में दो रेल हादसे हुए, 70 लोग मारे गए थे। तब रेलवे में कोई कैबिनेट मंत्री नहीं था। तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने तत्कालीन रेल राज्य मंत्री व तृणमूल नेता मुकुल रॉय को असम जाकर दुर्घटना का जायजा लेने को कहा, लेकिन वे नहीं गए, न ही ममता बनर्जी गईं। भाजपा आईटी विभाग के प्रभारी ने इस घटना से जुड़ा वीडियो पोस्ट कर आरोप लगाया कि ममता बनर्जी शव पर राजनीति करके आगे बढ़ती हैं। रेल हादसे के बाद पीएम और रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे ममता बनर्जी सहित राहुल गांधी, शरद पवार व अन्य कई विपक्ष के नेताओं पर भाजपा ने रविवार को जवाबी हमला किया। पहले सुरक्षा का पैसा कमीशन में जाता था राज्यसभा सांसद सिब्बल के सुरक्षा बजट न देने के सवाल पर भाजपा समर्थकों ने तीखा हमला बोला। लोकसभा सचिवालय और भारतीय रेल के हवाले से भाजपा समर्थकों ने दावा किया कि 2004 से 2022 के दौरान ट्रेन हादसों में कमी आई है। 2004 में जहां ट्रेन के प्रति 10 लाख किमी यात्रा करने पर 0.41 हादसे हो रहे थे, 2022 में संख्या 0.03 रह गई है। कुल हादसों की संख्या भी 325 से घट कर 34 रह गई है। यूजर्स ने कहा कि अगर कांग्रेस के दौर में सुरक्षा के लिए आज जितना पैसा आवंटित होता तो 15 हजार करोड़ ही खर्च होते, बाकी पैसा नेता कमीशन में खा जाते। ब्यूरो/एजेंसी हादसों व आतंकी हमलों की याद दिलाई पूछा : तब क्यों नहीं ली जिम्मेदारी हताश हैं ममता बनर्जी गोधरा में 2002 के साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड को मौजूदा हादसे के समय उठाने पर एक अन्य भाजपा नेता प्रीति गांधी ने कहा कि ममता बनर्जी बेहद हताश हैं, उनकी तंगदिली की कोई सीमा नहीं है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने 28 मई 2010 को हुए ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे की याद दिला कर पूछा था कि उस समय रेल मंत्री रहीं बनर्जी ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया था दूसरी ओर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने विपक्षी नेताओं को भी खुद के कार्यकाल में हुए रेल हादसों, बम ब्लास्ट व बड़े आतंकी हमलों के बावजूद इस्तीफा न देने लेकिन अब केंद्र सरकार के मुख्य नेताओं से इस्तीफे मांगने के लिए निशाने पर लिया। शरद पवार ने स्वीकारा था भड़क सकते थे दंगे, इसलिए झूठ बोला विपक्ष व भाजपा में वार-पलटवार के बीच एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें शरद पवार एक इंटरव्यू में यह कहते दिखे कि मुंबई में 1993 में 11 हिंदू बहुल इलाकों में धमाके हुए थे पर उन्हांेने जानबूझकर एक अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में भी विस्फोट की बात टीवी पर कही थी। उस समय महाराष्ट्र के सीएम रहे पवार ने स्वीकारा कि उन्हें दंगे भड़कने का भय था, इसलिए झूठ बोला कि 12 जगहों में एक धमाका मस्जिद बंदर इलाके में हुआ है जो अल्पसंख्यक बहुल था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि लोगों का ध्यान हट सके और दंगा न भड़कने पाए।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jun 05, 2023, 05:36 IST
Odisha Train Accident: 'ट्रेन हादसे को सांप्रदायिक रंग दे रहे सोशल मीडिया अकाउंट', पुलिस बोली- करेंगे कार्रवाई #IndiaNews #National #OdishaTrainAccident #OdishaTrainHadsa #SubahSamachar