Premchand: प्रेमचंद की सबसे पुरानी पांडुलिपि है पंच परमेश्वर व ईश्वरीय न्याय, 200 से अधिक बार हुई संशोधित

कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानियां पंच परमेश्वर और ईश्वरीय न्याय की पांडुलिपियां हिंदी साहित्य की सबसे प्राचीन पांडुलिपियां हैं। नागरी प्रचारिणी सभा के पुस्तकालय में मिले दोनों हस्तलेख सभा द्वारा प्रकाशित पंच परमेश्वर और ईश्वरीय न्याय शीर्षक पुस्तक में पहली बार हिंदी साहित्य-संसार के सामने आए हैं। नागरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल का कहना है कि आज से 110-111 वर्ष पहले लिखी गई कहानी पंच परमेश्वर का हस्तलेख अधूरा है, लेकिन ईश्वरीय न्याय का हस्तलेख संपूर्ण है। यह हिंदी साहित्य में प्रेमचंद की सबसे प्राचीन पांडुलिपियां हैं। उन हस्तेलखों पर आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी द्वारा दो सौ से अधिक संशोधन किए गए हैं। हरेक संशोधन के पीछे कोई न कोई मूल्यवान अंतर्दृष्टि है। पंच परमेश्वर कहानी का तो नाम ही द्विवेदीजी ने रखा। हस्तलेख में कहानी का नाम है पंच भगवान। आचार्य द्विवेदी ने भगवान को काटकर परमेश्वर कर दिया। आचार्य ने मुंशी प्रेमचंद के कालांतर को धीरे-धीरे, स्वामिभग्त को स्वामिभक्त, धर्म को ईमान, विचार को ख़याल, सशस्त्र को शस्त्रसज्जित, केवाड़ को किवाड़, बिर्ला को बिरला, अल्गू को अलगू, सक्ता को सकता, हुवा को हुआ और बन्ने को बनने में बदला है। यह भी संयोग नहीं कि इस किताब में प्रकाशित दोनों ही कहानियों के केंद्र में न्याय है। चाहे गांव की पंचायत हो या शहर की कचहरी। न्याय-भावना प्राणिमात्र का आदिम आदर्श है और सृष्टि का अनिवार्य नियम।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jul 31, 2025, 21:31 IST
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