अहम फैसला: अब स्वास्थ्य बीमा में अंग प्रत्यारोपण भी होगा शामिल, अंग देने- लेने वाले; दोनों को मिलेगा बीमा लाभ

देश में अंग प्रत्यारोपण को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में अंग प्रत्यारोपण की लागत को भी शामिल किया जाएगा। इसके तहत दाता और प्राप्तकर्ता दोनों के इलाज और देखभाल का खर्च बीमा कवरेज के दायरे में आएगा। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के साथ बैठक में नया इंश्योरेंस मॉडल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य है कि अंग प्रत्यारोपण की बढ़ती मांग को देखते हुए, एक ऐसा बीमा मॉडल बनाया जाए जो मरीज और दाता दोनों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। आंकड़े बताते हैं कि भारत में 2024 में 18,900 अंग प्रत्यारोपण किए गए जबकि केवल किडनी प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा सूची 1.75 लाख से अधिक है। फिलहाल बीमा कंपनियां केवल रोगी के इलाज को कवर करती हैं, जबकि दाता के जांच, ऑपरेशन या देखभाल से जुड़े खर्च अक्सर बाहर रह जाते हैं। नोटो ने इस अंतर को खत्म करने के लिए अस्पतालों से प्रत्यारोपण के बाद के परिणामों का डाटा साझा करने को कहा है, ताकि बीमा कंपनियों को वास्तविक जोखिम का आकलन करने में आसानी हो और प्रीमियम दरें घटाई जा सकें। किडनी प्रत्यारोपण में 15 लाख लीवर में खर्च होते हैं 35 लाख नोटो के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में किडनी प्रत्यारोपण का खर्च 15 लाख तक और लीवर प्रत्यारोपण का 35 लाख तक होता है। यह लागत अधिक भारतीय परिवारों के लिए असंभव सी है। बीमा कवर न होने के कारण कई परिवार बचत खत्म करने या कर्ज लेने को मजबूर हो जाते हैं। बैठक में निर्णय लिया है कि एक मानकीकृत बीमा उत्पाद विकसित किया जाए जिसमें प्रत्यारोपण प्रक्रिया, पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल, जांच-रिपोर्ट, जटिलता उपचार और दाता से जुड़े सभी खर्च शामिल होंगे। पुलिस, एंबुलेंसकर्मी किए जाएंगे प्रशिक्षित, ताकि अंगदान बढ़ सके देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए अंगों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने नई पहल शुरू की है। राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने राज्यों से कहा है कि वे पुलिसकर्मियों, एंबुलेंस चालकों और इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन को अंगदान से जुड़ी विशेष ट्रेनिंग दें। सरकार के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 1.7 लाख लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती है, जिनमें से कई संभावित अंगदाता हो सकते हैं। लेकिन समय पर पहचान और रेफरल की कमी के कारण ये मौके खो जाते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर नोटो ने राज्यों से कहा है कि पहले प्रतिक्रिया देने वाले जैसे पुलिस, एंबुलेंस स्टाफ और पैरामेडिकल कर्मी अगर प्रशिक्षित हों तो अंगदान की दर को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। ऊतक और अस्थि दान को भी मिलेगा बढ़ावा अंग प्रत्यारोपण के साथ ऊतक और अस्थि दान को भी प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में हर साल करीब एक लाख कॉर्निया (नेत्र) की जरूरत होती है, लेकिन केवल एक-तिहाई ही उपलब्ध हो पाती हैं। हड्डी और अन्य ऊतक दान कई रोगियों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। मंत्रालय ने कहा कि ब्रेन स्टेम डेथ या कार्डियक डेथ वाले मामलों से कॉर्निया, स्किन, हड्डी और हार्ट वाल्व जैसी ऊतक मृत्यु के 6 से 10 घंटे के भीतर प्राप्त की जा सकती हैं। इसके लिए अस्पतालों को ऑर्गन व टिश्यू डोनेशन टीम गठित करने, हर मृत्यु की सूचना इस टीम को देने और परिवारों की काउंसलिंग कर ऊतक दान के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 05, 2025, 07:00 IST
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