Indian Army: 'ड्रोन युद्ध का वातावरण चुनौती भरा, वायुसेना प्रमुख बोले- भ्रम पैदा कर सकते हैं एकसाथ आए कई ड्रोन

वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा कि एक ड्रोन युद्ध में निर्मित वातावरण का प्रबंधन करना बेहद चुनौती भरा काम है। हर समय जैमर्स ऑन नहीं रखे जा सकते, क्योंकि इससे आपकी अपनी हथियार प्रणालियां भी जाम होने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि ड्रोन किसी युद्ध में जीत नहीं दिला सकते। वायुसेना प्रमुख ने भारत शक्ति की ओर से आयोजित इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव में चर्चा के दौरान यह बात कही। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि युद्ध में ड्रोन आक्रमण से संशय की स्थिति पैदा हो सकती है। एकसाथ कई ड्रोन आने पर वातावरण में डाटा और सूचनाओं की अधिकता से अत्यधिक भ्रम पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए विविल एजेंसियों समेत अलग-अलग एजेंसियों में सामंजस्य बनाना जरूरी है। ड्रोन के लिए एयर डिफेंस की तरह एक ढांचा खड़ा करने की आवश्यकता है। वायुसेना प्रमुख ने सेना के लिए प्रस्तावित थिएटराइजेशन योजना पर कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए नया ढांचा बनाने का कोई भी निर्णय राष्ट्रीय हित पर आधारित होगा और इस पर विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने वायु शक्ति की प्रधानता को साबित किया। उन्होंने कहा, इस तरह की घटनाएं आपको यह एहसास कराती हैं कि जिस चीज ने हमें बचाया, वह वायु शक्ति ही थी। जब मैं वायु शक्ति की बात कर रहा हूं, तो मैं केवल वायु सेना की बात नहीं कर रहा हूं। हम हवाई माध्यम की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यापक वायु शक्ति ही भविष्य है। इस सवाल पर कि वायुसेना के लिए तेजी से विकसित होती प्रौद्योगिकी को स्वीकार करना चुनौतीपूर्ण है, सिंह ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने मोबाइल फोन का उदाहरण देते हुए कहा कि आजकल की पीढ़ी तकनीक को तेजी से अपनाने में अव्वल है। सिंह ने कहा कि वायुसेना के लिए नई-नई तकनीकों से जुड़ा मानवीय प्रशिक्षण मुश्किल कार्य नहीं है। बनी रहेगी फाइटर जेट की जरूरत सिंह ने कहा कि नया होने के कारण ड्रोन संबंधी पक्ष हमारे दिमाग में चल रहा है, लेकिन यदि आप शत्रु के अंदरूनी इलाके में स्थित किसी ढांचे को तबाह करना चाहें, तो आपको भारी हथियारों की आवश्यकता बनी रहेगी। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि मानव रहित प्लेटफॉर्म आने का अर्थ यह नहीं है कि लड़ाकू विमान की प्रासंगिकता ही खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता तो दुनिया में छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर काम नहीं हो रहा होता। नौसेना हर 40 दिन में एक स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी शामिल कर रही : एडमिरल त्रिपाठी नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि नौसेना में हर 40 दिनों में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी शामिल की जा रही है। उन्होंने कहा कि असंख्य समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए अपने बल का ध्यान समुद्री क्षेत्र के संप्रभु क्षमताओं के निर्माण पर केंद्रित किया है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भरता को न केवल एक रणनीतिक अनिवार्यता के रूप में, बल्कि भविष्य के आश्वासन के लिए एक निवेश के रूप में भी अपनाया है। सम्मेलन में एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, बल का लक्ष्य 2035 तक 200 से अधिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों का संचालन करना है। इसलिए हमारे सभी 52 ऑर्डर वाले जहाज भारतीय शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 05, 2025, 06:42 IST
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