NGT Orders: कुफरी में घोड़ों की सवारी पर एनजीटी की लगाम, अधिकरण ने जंगल बचाने के लिए बनाई है नई योजना
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में पर्यटन का मजा लेने वाले पर्यटकों की अब घोड़ों की सवारी पर ब्रेक लग सकता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शिमला के कुफरी क्षेत्र में घोड़ों के बेतहाशा इस्तेमाल से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर बड़ा फैसला सुनाया है। लगभग 1000 से ज्यादा घोड़ों की भीड़ से जंगल, पेड़ और हवा-पानी सब बर्बाद हो रहा था, अब घोड़ों की संख्या सिर्फ 293 प्रतिदिन तक सीमित रहेगी। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेष सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इलाके में अब पर्यटकों की संख्या भी 2232 प्रतिदिन से ज्यादा नहीं होगी। अदालत ने अपने आदेश में हिमाचल सरकार को तीन महीने के अंदर सख्त दिशा-निर्देश बनाने का हुक्म दिया है। मामला शैलेंद्र कुमार यादव की याचिका से जुड़ा है, जिसमें पर्यावरणविदों ने घोड़ों के अनियंत्रित संचालन से वनस्पति, जड़ों और पारिस्थितिकी को हो रहे नुकसान की शिकायत की थी। कुफरी के 8-10 वर्ग किलोमीटर इलाके में 700-800 घोड़े बिना किसी प्लानिंग के घूमते थे, जिससे पेड़ सूख रहे थे, घास नष्ट हो रही थी और बर्फबारी तक कम हो गई थी। यह कदम जंगलों को बचाने और वैज्ञानिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। क्या कहती है जांच एनजीटी ने मार्च, 2023 से कई समितियां गठित कीं। ऐसे में दिसंबर, 2023 की रिपोर्ट में पाया गया कि 1029 घोड़े पंजीकृत हैं, लेकिन इलाके की वहन क्षमता सिर्फ 217 घोड़ों की है। इसके अलावा, पानी के सैंपल में मल के फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले, जंगल में आक्रामक घासें (वनस्पति नष्ट व आक्रामक प्रजातियां) फैल गईं और घोड़ों के गोबर से प्रदूषण बढ़ा। जुलाई, 2025 की अंतिम रिपोर्ट में वैज्ञानिक तरीके (सिफुएंटेस फॉर्मूला) से घोड़ों की सीमा 293 और महासू पीक पर पर्यटकों की 2232 तय की गई है। गोबर का होगा प्रबंधन सयुंक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोड़ों के गोबर का खास प्रबंधन बताया है। सालाना 400-500 टन गोबर निकलता है, जो पर्यावरण को जहरीला बना रहा था। अब इसे दो चरणों में साफ किया जाएगा। पहले सुखाकर अपघटित करना (1.5-2 महीने), फिर वर्मी-कम्पोस्टिंग (2.5-3 महीने)। कुल खर्च सिर्फ 79,000 रुपये सालाना (16 रुपये प्रति किलो) होगा। यह सबसे सस्ता और पर्यावरण-अनुकूल तरीका है। दूसरा विकल्प (ड्रायर या ब्रिकेटिंग) महंगा (42 रुपये/किलो) और प्रदूषण फैलाने वाला माना गया। एनजीटी अध्यक्ष ने रिपोर्ट को मंजूर कर लिया। पर्यटन पर पड़ेगा असर कुफरी हिमाचल का पॉपुलर पर्यटन स्पॉट है। यहां सर्दियों में बर्फबारी का मजा लेने हजारों लोग आते हैं। लेकिन, बिना प्लानिंग के घोड़ों का इस्तेमाल जंगलों को खत्म कर रहा था। अब वैज्ञानिक तरीके से पर्यटन चलेगा, जिससे नेचर भी बचेगा और टूरिस्ट को सेफ सवारी मिलेगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 29, 2025, 01:38 IST
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