Barabanki News: दिल-दिमाग के नहीं डॉक्टर, इमरजेंसी में कर देते लखनऊ रेफर

बाराबंकी। इस बार सर्दी के मौसम में मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। बुजुर्ग हृदय व सांस संबंधी रोगों से जूझ रहे हैं, वहीं युवा वर्ग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहा है। शहर से लेकर गांवों तक के मरीज बेहतर इलाज की तलाश में जिला अस्पताल की दौड़ लगाते हैं। यहां डॉक्टरों की तैनाती न होने से इलाज के नाम पर चंद जांचें की जाती हैं और फिर इमरजेंसी स्टाफ इन्हें राजधानी के अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है। इनमें से कुछ मरीज तो लखनऊ पहुंच जाते हैं औैर कुछ रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। करीब 40 लाख की आबादी वाले जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर जिला अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर के अलावा महिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी की व्यवस्था है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में इलाज न मिलने के कारण उल्टी-दस्त के मरीज भी रेफर होकर जिला अस्पताल ही आते हैं। सर्दी के मौसम में हृदय, सांस और ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में उछाल आया है। जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन दो हजार तक मरीज आ रहे हैं, इसके अलावा ट्रॉमा में अलग से रोगी आते हैं। इनमें हृदय रोगियों की संख्या 25 से 30 के मध्य रहती है, जबकि श्वास व ब्रेन स्ट्रोक संबंधी मरीज भी आते हैं। लेकिन यहां न तो हृदय रोग विशेषज्ञ है और न ही न्यूरोलॉिजिस्ट। एक वर्ष पहले हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव वर्मा के सेवानिवृृत्त हो जाने के बाद से यह पद रिक्त है। न्यूरो सर्जन की आज तक तैनाती ही नहीं हुई है। फिजिशियन डॉ. राजेश कुशवाहा के मुताबिक डॉक्टरों के अभाव में प्रतिदिन हृदयाघात के दो से तीन एवं लगभग इतने ही ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। मरीजों की मौतों के संबंध में कोई आंकड़ा नहीं है। -------बॉक्स सावधानी से कर सकते हैं बचाव सर्दियों के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं। मस्तिष्क को खून की आपूर्ति करने वाली नसों के फटने या ब्लॉकेज होने की समस्या हो जाती है। इससे दिव्यांगता या मृत्यु भी हो सकती है। शुरुआत में शरीर के अंगों या चेहरे में सुन्नता छा जाती है। बात करने और हिलने-डुलने में समस्या होने लगती है। ऐसे लक्षण आने पर त्वरित विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए। बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनकर ही घर से बाहर निकलेें। हृदयाघात से बचने के लिए हृदय रोगियों को डाइट के अनुसार भोजन लेना चाहिए। नियमित रूप से चिकित्सीय सलाह के आधार पर दवाई लेनी चाहिए। भोर व देर शाम टहलने सेे परहेज करें। नहीं हैं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सुविधाएंयहां पर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सुविधाएं नहीं हैं। इसके बिना ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक के मरीजों का इलाज संभव नहीं है। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के बारे में पहले भी उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। -डॉ. ब्रजेश कुमार, सीएमएस जिला अस्पताल

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 19, 2023, 01:05 IST
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