Bhiwani News: 30 लाख की लागत से बनेगा खारियाबास का पशु अस्पताल

कैरू। गांव खारियाबास में लगभग 30 लाख की लागत से राजकीय पशु अस्पताल के भवन का निर्माण शुरू हो गया है। यह पशु अस्पताल काफी समय से जर्जर हो चुका था। इसको कंडम घोषित किया जा चुका था। अब नया पशु अस्पताल बनने के ग्रामीणों को सुविधा मिलेगी।दरअसल, मई 1982 में तत्कालीन कृषि मंत्री सुरेंद्र सिंह ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया था। यह अस्पताल काफी समय पहले जर्जर हो चुका था। दो साल पहले भवन के नव निर्माण का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया था। पिछले महीने मंजूरी मिलने के बाद ग्राम पंचायत ने अस्पताल को तोड़ने की बोली लगा दी थी। सरकार की ओर से नए अस्पताल के निर्माण के लिए लगभग 30 लाख का बजट दिया गया है। करीब 42 वर्ष पुराने अस्पताल की बिल्डिंग को तोड़ा जा रहा है। यह राजकीय पशु अस्पताल का भवन काफी जर्जर हो गया था। इसके कारण यहां प्रचुर मात्रा में दवाएं, पशुओं का इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता था। अस्पताल की छत पर पेड़ की जड़ फैलने के कारण बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता था। जर्जर भवन होने से पशुपालन विभाग के कर्मचारी और पशुपालकों को हादसे की आशंका से बनी रहती थी। नया भवन बनाने की समय सीमा अगले छह माह निर्धारित की गई है। संवादनए भवन में यह मिलेगी सुविधा नव निर्माण अस्पताल में दवा स्टोर, डॉक्टर कक्ष, फार्मासिस्ट, लैब, पेयजल, शौचालय, विद्युतीकरण की आधुनिक सुविधाएं होगी। आधुनिक सुविधाएं मिलने से अस्पताल स्टाफ के साथ-साथ ग्रामीणों को भी सुविधा मिलेगी। सुविधाओं का अस्पताल प्रशासन लंबे समय से इंतजार कर रहा था। करीब 2 वर्ष पहले पशु अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग को तोड़कर उसकी जगह नवनिर्माण का प्रस्ताव भेजा गया था। जिसे अब मंजूरी मिल गई है। अब जर्जर बिल्डिंग को तोड़ा जा रही है। उसके बाद नवनिर्माण शुरू हो जाएगा। - डाॅ. मदन कौशिक, चिकित्सा अधिकारी कैरू। अस्पताल न होने के कारण बीमार पशुओं को सुंगरपुर अस्पताल में जाने को मजबूर थे। दो वर्ष से डिमांड थी कि नया अस्पताल बने, ताकि बीमार पशुओं का गांव में ही इलाज हो सके। अब अस्पताल का नया भवन बनने से ग्रामीणों को सुविधा मिलेगी। - जयप्रकाश, सरपंच खारियाबास। पुराना पशु अस्पताल भवन क्षतिग्रस्त हो गया था। हालात यह है कि इस बिल्डिंग की दीवारों में जहां दरारें आ गई थीं, तो वहीं फर्श तक उखड़ चुका था। नया अस्पताल बनने से गांव के लोगों में खुशी की लहर है। - कुलदीप, ग्रामीण। अस्पताल का जर्जर भवन देखकर पशुपालक अंदर जाने से कतराते थे। छत का प्लास्टर टूट-टूटकर गिर रहा है। इससे कभी भी हादसा हो सकता था। स्वास्थ्यकर्मी भय के साये में रहकर कार्य कर रहे थे। पशुपालक भी पशुओं को यहां ले जाने डरते थे। - सोमबीर, ग्रामीण।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 29, 2025, 22:47 IST
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