पहले गणतंत्र की यादें: लोगों ने खींचा स्मृतियों का चलचित्र, बोले- मानो सरसैयाघाट पर उतर आई थी आकाश गंगा

26 जनवरी वर्ष 1950 को पहला गणतंत्र दिवस कनपुरियों ने भी बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया था। तब संसाधन कम थे लेकिन उम्मीदों ने अपने पंख ऐसे फैलाए कि इनमें खुशियों का सारा आकाश समा गया। कई शहरियों ने पहले गणतंत्र दिवस के उस माहौल को देखा है। बुधवार को अमर उजाला ने पहले गणतंत्र दिवस के उल्लास के उन साक्षियों से बात की तो स्मृतियों का ऐसा चलचित्र चला, जिससे 73 साल पहले की घटनाएं सजीव हो उठीं। लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। घरों के सामने, सड़कों के किनारे रोशन हुईं थीं दीपमालाएं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकरदत्त मिश्र बताते हैं कि उस वक्त उनकी उम्र करीब 15 साल रही होगी। कानपुर की आबादी तीन-चार लाख थी। बिजली कुछ लोगों के यहां थी। लोगों ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या से ही घरों के सामने, सड़कों के किनारे दीपमालाएं रोशन कर दी थीं। जैसे रात भीगी लोगों ने गंगा घाटों पर दीपों की कतारें सजा दीं। पानी में दीप छोड़े गए। इसे देखकर लगा कि आकाश गंगा सरसैया घाट पर उतर आई है। 26 जनवरी वर्ष 1950 की दोपहर को मेस्टन रोड से जुलूस निकला। पुलिस की टुकड़ियां, स्कूली बच्चे सब इसमें शामिल हुए। जुलूस बड़े चौराहे से होता हुआ फूलबाग पहुंचा। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे। सभा को उन्होंने संबोधित किया। गणतंत्र, संविधान, नागरिकों के अधिकारों के बारे में बताया। पहले गणतंत्र के जश्न में बालकृष्ण शर्मा नवीन, हरिहरनाथ शास्त्री, डॉ. जवाहरलाल रोहतगी, डॉ. मुरारीलाल, छैल बिहारी कंटक, ठाकुर जंग बहादुर सिंह आदि मौजूद थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 26, 2023, 10:56 IST
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