Jhansi News: कैसे पता चलेगा कोरोना का स्ट्रेन, अब तक शुरू नहीं हो सकी जांच

झांसी। चीन समेत कई देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते महामारी के लौटने का खतरा फिर से सताने लगा है। नई लहर के साथ आने वाले वायरस के स्ट्रेन (रूप) को जानने के लिए कोविड संक्रमित का सैंपल लेकर जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जाती है। मगर शासन से मंजूरी मिलने के एक साल बाद भी झांसी में ये जांच शुरू नहीं हो सकी है। प्रदेश में अभी केजीएमयू लखनऊ समेत दो-तीन जगह ही ये जांच होती है। ऐसे में कोरोना की दूसरी, तीसरी लहर में झांसी से भेजे जाने वाले सैंपलों की रिपोर्ट कई-कई सप्ताह तक पता नहीं लग पाती थी। इसको मद्देनजर रखते हुए शासन ने नवंबर 2021 में झांसी समेत प्रदेश के चार जिलों में जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू कराने की मंजूरी दी थी। इसके पीछे उद्देश्य था कि कोविड के केस बढ़ने पर वेरिएंट का पता लगाने के लिए बुंदेलखंड समेत आसपास के सैंपल की जांच झांसी में ही हो सके। महामारी थमने के बाद इसके लिए मशीन उपलब्ध नहीं हो सकी। मगर अब जब कोविड का खतरा फिर से मंडरा रहा है। ऐसे में मशीन आने की जरूरत महसूस होने लगी है। वहीं, प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर का कहना है कि अभी झांसी में कोरोना का कोई केस नहीं है। अगर केस आने शुरू होंगे तो जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू कराने को लेकर अधिकारियों से बात की जाएगी। क्या होता है जीनोम सीक्वेंसिंग डॉक्टरों का कहना है कि वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी अनुवांशिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं। ताकि, उन्हें मारा न जा सके। इसे म्यूटेशन कहते हैं। वायरस में बदलाव होने पर कई बार मौजूद दवाएं या वैक्सीन काम नहीं करतीं। ऐसे में उनके फॉर्मूला में बदलाव लाना होता है। इसी दौरान काम आती है जीनोम सीक्वेंसिंग।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 08, 2023, 23:53 IST
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