High Court News: परिवार का कोई सदस्य नहीं ले सकता मां का स्थान, तीन साल का बेटा रहेगा उसी के पास

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बच्चे को मां से वापस पाने के लिए पिता की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि बच्चे की देखभाल के लिए परिवार का काई भी सदस्य मां का स्थान नहीं ले सकता है। करनाल निवासी पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उसका विवाह 2018 में हुआ था। इसके बाद 2020 में उसे एक बेटा हुआ और कुछ समय बाद दंपत्ति के बीच विवाद बढ़ने लगा। इसके बाद दोनों ने अलग रहना शुरू कर दिया और बच्चे को पाने के लिए उसकी मां ने हिंदू गार्जियनशिप एक्ट के तहत शिकायत दे दी। अदालत ने उसकी मां के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसे याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि वह प्राइवेट क्षेत्र में नौकरी करता है और आजीविका के लिए उसे घर से बाहर रहना पड़ता है। याची ने कहा कि उसकी गैर मौजूदगी में उसके छोटे भाई की पत्नी बच्चे का ध्यान रख सकती है। हाईकोर्ट ने इस पर स्पष्ट कर दिया कि बच्चा पांच वर्ष से छोटा है और ऐसे में मां की उसे बहुत जरूरत है। परिवार का कोई भी सदस्य देखभाल में मां का स्थान नहीं ले सकता है। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। विधवा बहू ही नहीं पोते-पोतियों को भी नहीं किया जा सकता गुजारा भत्ता देने से वंचित एक अन्य मामले में, विधवा महिला के साथ रह रहे तीन नाबालिग बच्चों को गुजारा भत्ता देने के गुरुग्राम फैमिली कोर्ट के आदेश पर मोहर लगाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विधवा बहू पर आश्रित बच्चे भी हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम के तहत विधवा की श्रेणी में आते हैं और गुजारा भत्ता से उन्हें इनकार नहीं किया जा सकता। गुरुग्राम निवासी वरिष्ठ नागरिक ने बताया कि वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मामले में गुरुग्राम की फैमिली कोर्ट ने उसे विधवा बहू को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। इस आदेश में विधवा के तीन नाबालिग बच्चों में से प्रत्येक के लिए भी दो हजार रुपये प्रतिमाह तय कर दिया था। याचिका में कहा गया कि महिला ने फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता के लिए केस दाखिल किया था ऐसे में गुजारा भत्ता के लिए केवल वही पात्र है विधवा के बच्चों को गुजारा भत्ता देने का अधिनियम में कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में विधवा के तीनों बच्चों को गुजारा भत्ता देने का आदेश रद्द किया जाए। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भारण पोषण अधिनियम में विधवा बहू को गुजारा भत्ता के लिए पात्र माना गया है। यह एक कल्याणकारी कानून है और इसे निराश्रित बहू की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। इसमें विधवा को परिभाषित करते हुए उस पर आश्रित उसकी नाबालिग संतान भी इस परिभाषा में आती हैं। ऐसे में फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कोई चूक नहीं की है। कोर्ट ने विधवा के तीनों बच्चों को गुजारा भत्ता के लिए पात्र मानते हुए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 07, 2023, 00:40 IST
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