हाथरस : ठंड की मार से झुलस रही आलू की फसल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हाथरसकोहरे की मार से आलू में झुलसा रोग लगने का खतरा बढ़ गया है। फसल को नुकसान से बचाने के लिए किसानों ने दवा का छिड़काव शुरू कर दिया है।पहाड़ों पर हो रही बर्फवारी के कारण वातावरण में कोहरे के साथ नमी अधिक हो गई है। कुछ दिनों तक अगर ऐसा ही मौसम रहा तो आलू की फसल में झुलसा रोग लगने लगेगा। रोग लगने पर फसल की पैदावार पर असर पड़ता है। जिले में इस बार आलू की फसल 47 हजार से अधिक हेक्टेयर में है। वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में आलू पर पिछैती झुलसा के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। कीटनाशक दवा का छिड़काव व सिंचाई कर फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया कि झुलसा रोग से बचाव के लिए किसान डाईफेन एम 45, कार्बनडाजिम को निर्धारित मात्रा में पानी में मिलाकर छिड़काव करें। रोग अधिक होने पर इन दवाओं के साथ मेटालॉक को मिलाकर नुकसान से बचा जा सकता है। संवादरोग के लक्षणपिछैती झुलसा में पत्तियां किनारों से या शिखर से झुलसना प्रारंभ कर देती हैं और धीरे-धीरे पूरी पत्ती ही प्रभावित हो जाती हैं। पत्तियों के निचले हिस्से में सफेद रंग की फफूंदी दिखाई देने लगती है और इस तरह रोग फैलने से पूरा पौधा काला पड़कर झुलस जाता है। कंद नहीं बनते, अगर बनते भी हैं तो बहुत छोटे बनते हैं। इसके साथ ही साथ उनकी भंडारण क्षमता भी घट जाती है। रोग बढ़ने में वातावरण का विशेष प्रभाव होता है। यदि तीन से पांच दिनों तक बादल छाए रहें और धूप न निकले या हल्की-हल्की बूंदाबांदी हो जाए तो निश्चित तौर पर जान लेना चाहिए कि यह बीमारी महामारी का रूप लेने वाली है।रोग का उपचार- रोग प्रतिरोधी प्रजातियां जैसे कुफरी अलंकार और कुफरी ज्योति आदि का उपयोग करना चाहिए। इसके उपचार के लिए खेत में जैविक स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस को 250 ग्राम मात्रा को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ खेत में बिखेर दें। - रासायनिक विधि से उपचार करने के लिए, मेटालैक्सिल 4 फीसदी, मैकोजेब 64 फीसदी को 600 ग्राम प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें।- बीज के उपचार के लिए मेटालेक्सिल 85. मैकोजेब 64 फीसदी तीन ग्राम प्रति लीटर पानी वाले घोल तैयार करें। - बीज कंद पर स्प्रे कर सकते हैं या बीज कंद को 30 मिनट के लिए इस घोल में डूबा कर बुआई की जा सकती है। यह तैयार घोल है और साथ ही सामान्यतौर पर आलू की मेंड़ को नौ इंच ऊंचा बनाना चाहिए। इसके दो लाभ होते हैं। एक तो आलू अच्छा बढ़ता है और रोग के फैलने की आशंका भी कम हो जाती है।कई दिनों से गलन भरी सर्दी में पिछैती झुलसा रोग का संकट पैदा कर दिया है। कुछ पौधों पर इसका असर दिखाई देने लगा है। -विक्रम सिंह, किसान गलन से आलू में झुलसा रोग के लक्षण नजर आ रहे हैं। इससे आलू की फसल को बचाने के लिए दवा का छिड़काव कर रहे हैं। अशोक कुमार, किसान। मौसम में लगातार हो रहे बदलाव से जहां पर आलू में झुलसा का संकट पैदा हो गया है, वहीं पाले का भी खतरा आलू की फसल को है। -गौरीशंकर, किसानआलू में झुलसा की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेकर दवा का छिड़काव कर रहे हैं, ताकि आलू की फसल को इससे बचाया जा सके। -भारत पाठक, किसान

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 04, 2023, 23:44 IST
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