Ground Zero: कारगिल युद्ध के दौरान घरों में बनाए बंकर खोले जाएंगे, पाकिस्तानी सरहद से सटे किसानों ने की तैयारी
इस्राइल के बॉर्डर पर बसे गांव में जिस तरीके से घरों के भीतर बंकर बनाए जाते हैं, ठीक उसी तरह पंजाब के बॉर्डर वाले इलाकों में बिल्कुल फेंसिंग लाइन से सटे गांव के किसानों ने भी तैयारी कर ली है। 26 वर्ष पहले 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान यहां पर कई गांव के घरों में बंकर बनाए गए थे। बाद में हालात सुधरे तो कुछ किसानों ने उन बंकरों को अनाज रखने का स्थान बना लिया, जबकि कुछ ने उसे धीरे-धीरे बंद कर दिया। भारत-पाकिस्तान की सीमा पर फेंसिंग लाइन के बिल्कुल किनारे बसे गांव के किसानों ने अपनी तैयारियां अमर उजाला से साझा की पंजाब का जिला फिरोजपुर भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ शहर है। इस जिले के बहुत से गांव भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बनी फेंसिंग लाइन के बिल्कुल आमने-सामने हैं। दिन के तकरीबन दस बजे थे, लेकिन गांव हजारासिंघा वाला में पसरा सन्नाटा किसी भरी दोपहरी की तस्दीक कर रहा तरसेम सिंह अपने घर का मुख्य दरवाजा दिखाते हुए कहते हैं कि आप खुद देख लो, दाहिने हाथ की तरफ जीरो लाइन की फेंसिंग है। सामने पाकिस्तान का गांव पीरखान है। घर के भीतर ले जाते हुए तरसेम कहते हैं कि उनका ही नहीं, गांव के कई घर ऐसे हैं जिनमें दुश्मन देश की हरकतों से पैदा होने वाली आपात स्थिति में बचाव के लिए बंकर बने हैं। गांव की शुरुआत में कुछ किसान एकसाथ बैठे मिले। किसान तरनप्रीत सिंह कहते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान हमने घरों में बंकर बना लिए थे। बाद में इनका इस्तेमाल नहीं हुआ तो हमने अपनी फसल रखनी शुरू कर दी। कुछ ने तो इन्हें बंद भी कर दिया। पर, अब फिर से इन्हें खोलने की जरूरत है। वे कहते हैं, आपात स्थिति में तो हमें गांव छोड़ना ही पड़ेगा, लेकिन पूरी कोशिश रहेगी कि परिवारवालों को किसी दूर-दराज के शहर में रिश्तेदारों के यहां छोड़कर खुद वापस यहीं आ जाएंगे। फिर तो पाकिस्तान से भी मुकाबले को हम तैयार हैं। गांव हमारे पुरखों का है। किसी भी दुश्मन के हमले से घबराने वाले भी नहीं और डरने वाले भी नहीं। लोग 50 साल पुरानी स्थिति को दोहराना नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि 22 अप्रैल के बाद ज्यादातर किसानों ने फसलों को न सिर्फ काट लिया है, बल्कि खेत के खेत मैदान में तब्दील कर दिए हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई इसी सतलुज दरिया से भारत के खिलाफ साजिश करते हुए हथियारों और नशे की खेप भेजता है। ऐसे में उसे तो मुंहतोड़ और जवाब देना ही चाहिए। सतलुज से हथियार व नशे की तस्करी, पड़ोसी को मुंहतोड़ जवाब जरूरी फारूवाला से आगे निकलते हुए हम उस सतलुज नदी के पास पहुंच रहे थे, जो भारत और पाकिस्तान की जमीन का बंटवारा करती है। इस नदी से कुछ दूरी पर ही फारूवाला के किसानों के खेत हैं। यहां के किसानों ने बताया कि उनकी कुछ फसलें तो नदी के उस पार भी हैं, लेकिन अब तनाव की स्थिति है तो वह लोग जल्दी से जल्दी अपनी फसलों को काटकर मंडी में पहुंचा रहे हैं। गांव के किसान मनजोत बताते हैं कि 1971 में हुए युद्ध के दौरान इसी सतलुज नदी के उस पार हमारे बहुत से लोग फंस गए थे। लेकिन ने सब लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। इस बार भारत और पाकिस्तान का माहौल फिर से खराब हो चुका है। हम फसल काट रहे, पाकिस्तानी नहींऐसा लग रहा कि वे युद्ध से पहले की तैयारी कर रहे इसी इलाके में पड़ने वाले गांव फारुवाला के लोग बताते हैं कि विपरीत परिस्थिति में बंकर से खूब मदद मिलेगी। सिमरन बताते हैं कि पाकिस्तान के हिस्से में पड़ने वाले कंगनपुर के किसानों की जमीन भी इसी जीरो लाइन पर स्थित है। उनका दावा है कि गेहूं की कटाई के दौरान कई बार आभास हुआ कि कंगनपुर गांव और उसके आसपास के मजरों के लोग युद्ध से पहले की तैयारी करने में जुटे हैं। वह कहते हैं कि हमारे खेतों में भी गेहूं की फसल है और उनके कुछ खेतों में भी गेहूं की फसल है। कई जगहों पर मक्की की खेती हो रही है। सिमरन के इस सवाल में बड़ी आशंका छिपी नजर आती हैजब फसल के पकने और काटने का समय तकरीबन एक ही है, तो वे अपनी फसल काटने क्यों नहीं आ रहे उनका अनुमान है कि संभवत: पाकिस्तान की सेना ने अपने किसानों को फसल काटने से मना कर दिया है। वह कहते हैं कि हर हाल में पाकिस्तान को सबक जरूर सिखाया जाना चाहिए, क्योंकि बॉर्डर एरिया में उसके नापाक इरादों से हमेशा तनाव बना रहता है। Pahalgam:संयम बरतने की अपील के बावजूद भारत ने लिया था उड़ी-पुलवामा का बदला; इस बार सही समय का हो रहा इंतजार तनाव के बीच जंगी जहाज आईएनएस सूरत हजीरा पोर्ट पर तैनात पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच नौसेना का जंगी जहाज आईएनएस सूरत बृहस्पतिवार को पहली बार सूरत के हजीरा पोर्ट पर तैनात कर दिया गया। नौसेना के कमांड अधिकारी कैप्टन संदीप शोरे ने कहा कि आईएनएस सूरत देश के सबसे उन्नत और शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है। एएनआई के मुताबिक नौसेना ने अपने सभी वॉरशिप को अलर्ट पर रखा है। आईएनएस-सूरत युद्धपोत विध्वंसक श्रेणी में आता है। यह पनडुब्बी, जहाज, विमान जैसे किसी भी लक्ष्य को निशाना बना सकता है। इसके साथ हेलिकॉप्टर भी तैनात रहते हैं। युद्धपोत में आधुनिक हथियार प्रणाली, रडार, और मिसाइलें लगी हैं जो इसे समुद्री सुरक्षा के लिए बेहद प्रभावी बनाती हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 02, 2025, 06:39 IST
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