Kullu News: बेसहारा पशुओं के आतंक से 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानी-बागवानी छूटी

सैंज (कुल्लू)। जिला कुल्लू में बेसहारा पशुओंसे से किसान-बागवान परेशान है। करीब दो दशकों से बेसहारा पशु अपना पेट भरने के लिए खेत-खलिहानों में जाकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और बगीचों में छोटे पौधों को नष्ट कर रहे हैं। यह समस्या आनी-निरमंड से लेकर ऊझी घाटी के मनाली तक बनी हुई है। अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों पर दिन रात पहरा देने के लिए मजबूर हैं। मगर प्रशासन के पास पशुओं के संरक्षण के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है।कुल्लू जिला के आनी, निरमंड, ब्रो, दलाश, बंजार, सैंज, लारजी, भुंतर, मणिकर्ण, गडसा, लगघाटी, खराहल, कुल्लू, पतलीकुुहल, हरिपुर, मनाली आदि क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं को खेतों में चरते देखा जा रहा है। ऊपरी क्षेत्र में ठंड का प्रकोप बढ़ने से सैकड़ों बेसहारा पशु रिहायशी इलाके में आ गए हैं। किसान सुरेश कुमार, अमित शर्मा, भोपाल ठाकुर, कर्म सिंह, विनोद शर्मा और दिले राम का कहना है कि इस समय गेहूं, जौ, मटर और लहसुन के साथ सब्जियां खेतों में तैयार हो रही हैं। खेतों में बेसहारा पशुओं ने अपना डेरा जमा लिया है, जो फसल को तहस-नहस कर चट कर जाते हैं।हालांकि कड़ाके की ठंड में कुछेक बेसहारा पशुओं को ग्रामीण कुछ दिनों के लिए आसरा दे देते हैं। मगर संख्या अधिक रहने से इसका स्थायी हल नहीं निकल पाता है। ग्रामीणों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग चिंता में हैं कि जिन पशुओं को खेतों में पकड़ा जा रहा है, उन्हें कहां भेजा जाए। अधिकतर इलाकों में गोसदन की व्यवस्था नहीं है। जहां गोसदन हैं, वहां सामर्थ्य से अधिक पशु भरे पड़े हैं। दिन में खदेड़े गए पशु रात को फिर खेतों में आ जाते हैं।फसल खाते कम हैं उजाड़ते ज्यादाराम लाल, प्रेम ठाकुर, युगल किशोर, अशोक कुमार आदि किसान और बागवानों का कहना है कि निराश्रित पशुओं के फसल खाने से इतना नुकसान नहीं होता जितना नुकसान उनके द्वारा फसल उजाड़ने से होता है। पशुओं को खेतों से निकालने के लिए उन्हें रात-दिन कड़ी मशक्कत और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।हर साल दो हजार करोड़ का नुकसानजीरो बजट खेती पर ग्रामीणों को जागरूक कर रहे बंजार के दौलत भारती बताते हैं कि हिमाचल में जंगली जानवरों और बेसहरा पशुओं के कारण कृषि और बागवानी को हर साल 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। इस समस्या से हिमाचल के लगभग 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों और बागवानों ने खेती छोड़ दी है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक सात लाख परिवार अपने अन्य कामकाज छोड़कर सिर्फ जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं से कृषि और बागवानी को बचाने में लगे हुए हैं।सोलर फेंसिंग है समस्या का समाधानबागवानी विभाग कुल्लू के उप निदेशक डॉ. बीएम चौहान कहते हैं कि बेसहारा पशुओं द्वारा पौधों और फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या से परेशान किसानों और बागवानों के लिए खेत में ही तैयार सौर ऊर्जा से अभेद्य बाड़ लगाए जाने की योजना चलाई जा रही है। इस बाड़ को कोई जानवर नहीं लांघ सकेगा। खेत संरक्षण योजना के माध्यम से किसानों और बागवानों को 80 फीसदी तक सरकारी अनुदान देकर यह बाड़बंदी लगवाई जा रही है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 13, 2023, 22:39 IST
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