Jalaun News: गोशालाओं में अव्यवस्थाएं, ठंड और भूख से लड़ रहे मवेशी

कालपी/सरावन/महेवा (जालौन)। जिले की ज्यादातर गोशालाओं में संरक्षित मवेशी ठंड में ठिठुर रहे हैं। उनके खाने के लिए भूसे तक का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। मवेशियों की क्षमता से कम लगाए गए टिनशेड में तिरपाल भी नहीं लगाए गए हैं। कालपी के आलमपुर मोहल्ले में संचालित गोशाला में 200 से अधिक मवेशी संरक्षित हैं। गोशाला में मवेशियों के हिसाब से इंतजाम नहीं हैं। एक टिनशेड में तिरपाल भी नहीं लगाया गया है। सर्दी में मवेशी ठिठुरते रहते हैं। भूसा भी बमुश्किल एक दिन का बचा है। गो सेवक राकेश ने बताया कि भूसा खत्म होने की सूचना नगर पालिका प्रशासन को दे दी है। ईओ वेद प्रकाश ने कहा कि तिरपाल लगाने के निर्देश दे दिए थे, अगर कोई जगह छूटी है तो वहां तिरपाल लगवाया जाएगा। माधौगढ़ तहसील की सबसे बड़ी सरावन गोशाला में 541 मवेशी हैं। यहां भी व्यवस्थाएं धड़ाम है। शासन से प्रतिदिन 16 हजार रुपये दिए जाते हैं फिर भी मवेशियों को मटर के डंठल खिलाए जा रहे हैं। प्रधान वंदना नायक का कहना है कि मवेशियों की संख्या अधिक होने की वजह से दिक्कत हो रही है। भूसे का इंतजाम नहीं किया गया है। महेवा ब्लॉक क्षेत्र के चुर्खी गांव की गोशाला में भी भूसे और ठंड से बचाव के इंतजाम नहीं हैं। फोटो संख्या-15- जालौन-औरैया हाईवे पर बैठे मवेशी। स्टेट हाईवे पर मवेशियों का जमावड़ामाधौगढ़/कुठौंद। आवारा मवेशी संरक्षित करने के लिए ब्लॉक के 57 ग्राम पंचायतों में 21 गोशालाएं हैं। इसमें अमखेडा़, हरौली, चाकी, शहवाजपुर, सरावन गोशालाओं में ढाई हजार से अधिक मवेशी संरक्षित हैं। इससे अधिक मवेशी सड़क पर और खेतों में घूम रहे हैं। किसान नेता शिववालक सिंह, वीरभान सिंह ने कहा कि गोशालाओं की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। कुठौंद ब्लॉक में 30 गोशालाएं संचालित हैं। 37 ग्राम पंचायत में गोशाला नहीं हैं। इससे जालौन-औरैया स्टेट हाईवे किनारे हदरुख से शंकरपुर तक मवेशी सड़क पर बैठे रहते हैं। आवारा मवेशियों से यमुना पट्टी के गांवों में किसान भी परेशान हैं। (संवाद) सरावन गोशाला में खुले में ठिठुरते गोवंश।- फोटो : ORAI

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 15, 2023, 23:42 IST
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