MISW: 'हिंद महासागर वैश्विक समृद्धि का केंद्र', नौसेना उपप्रमुख बोले- समुद्री सुरक्षा को सूचना साझाकरण जरूरी

नौसेना स्टाफ के उपप्रमुख वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र दुनियाभर के देशों की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, फिर भी यह कई चुनौतियों से घिरा हुआ है। इन वैश्विक समुद्री चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सूचनाएं साझा करना और समन्वित बहुत जरूरी है। गुरुग्राम स्थित सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र में तीन दिवसीय कार्यक्रम में सोबती 30 देशों के समुद्री सुरक्षा विशेषज्ञों को संबोधित कर रहे थे। समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला (एमआईएसडब्ल्यू) के तीसरे संस्करण के उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा कि समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती, अनियमित मानव प्रवास, तस्करी, आईयूयू (अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित) मछली पकड़ना, संकर समुद्री सुरक्षा खतरे और पर्यावरण क्षरण जैसे मुद्दे हमारी साझा सुरक्षा के लिए हमेशा मौजूद हैं। सोबती ने कहा कि हाल ही में, मध्य पूर्व में हुए घटनाक्रमों ने दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री अवरोध बिंदुओं में से एक में तनाव बढ़ा दिया है। इससे गैर-राज्यीय तत्वों के हमलों के प्रति वैश्विक शिपिंग मार्गों की संवेदनशीलता साफ दिखाई देती है। इस वर्ष का एमआईएसडब्ल्यू हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तविक समय समन्वय और सूचना साझाकरण को बढ़ावा देना विषय के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए आवश्यक सहयोगात्मक ढांचे को मजबूत करने हेतु समर्पित एक मंच बनना है। लाल सागर में सुरक्षा चिंताओं से माल की हानि और देरी हुई सोबती ने कहा, इन घटनाओं और अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती के फिर से उभरने के कारण, हमारे लिए उभरते समुद्री खतरे के परिदृश्य के अनुकूल ढलने की तत्काल आवश्यकता बढ़ गई है। इन व्यवधानों के प्रभाव दूरगामी हैं। उन्होंने कहा, लाल सागर में सुरक्षा चिंताओं के कारण आवश्यक समुद्री यातायात के मार्ग परिवर्तन से मौसम संबंधी घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप माल की हानि और देरी हुई है। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए ही समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला (एमआईएसडब्ल्यू) जैसे फोरम बहुत जरूरी हैं। हमें सिर्फ चुनौतियों से नहीं उनके प्रभावों से भी निपटना होगा वाइस एडमिरल ने कहा, हमें न सिर्फ इन चुनौतियों का सामना करना होगा, बल्कि उनके संभावित प्रभावों का पूर्वानुमान भी लगाना होगा। उनके लिए तैयारी भी करनी होगी। क्षेत्रीय समुद्री गतिशीलता की गहरी समझ को बढ़ावा देकर और जानकारी साझा करके, हम समुद्री साझा संसाधनों की सुरक्षा के लिए अपनी सामूहिक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 04, 2025, 05:38 IST
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