चिंताजनक: उत्तर भारत में कैंसर जांच में देरी बनी मौत की वजह, आईसीएमआर रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

भारत में कैंसर अब सार्वजनिक स्वास्थ्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। 2022 में देशभर में अनुमानित 14.6 लाख नए कैंसर मामले सामने आए जबकि करीब 8.10 लाख मरीजों की मौत हुई। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के संयुक्त अध्ययन में सामने आई है जिसे मेडिकल जर्नल जामा नेटवर्क ओपन ने प्रकाशित किया है। इस अध्ययन के मुताबिक, भारत में कैंसर की राज्यवार तस्वीर काफी अलग है। एक तरफ पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे ज्यादा कैंसर के मामले मिल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में भी कैंसर के मामलों में हर साल वृद्धि दर्ज की जा रही है। उत्तर भारत में कैंसर का देरी से पता चल पा रहा है जिसकी वजह से कैंसर मरीजों की जान का जोखिम भी अन्य राज्यों की तुलना में कई गुना अधिक पाया गया। यह अध्ययन बताता है कि देश में कैंसर के मामलों और मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है। न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि राज्यों के बीच भी कैंसर के बोझ में भारी असमानता दिखाई देती है। अध्ययन में अनुमान लगाया है कि साल 2030 तक कैंसर के नए मामलों की संख्या बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच सकती है। ये भी पढ़ें:-सुलझा रहस्य: अरबों साल की धीमी वृद्धि से बना बृहस्पति का धुंधला कोर, वैज्ञानिक बोले- नहीं थी कोई विशाल टक्कर पुरुषों, महिलाओं में अलग स्थिति साल 2015 से 2019 तक भारत के 43 कैंसर संस्थानों में मरीजों की भर्ती और मौत के पैटर्न के साथ साथ 2024 के लिए अनुमान पर आधारित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि भारतीय पुरुषों में फेफड़े, मुखगुहा और पेट का सबसे आम कैंसर पाया गया जबकि महिलाओं में स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और डिंबग्रंथि के कैंसर सबसे अधिक थे। पुरुषों में तंबाकू-जनित कैंसर (मुख, गला, फेफड़े) 50% से ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे बड़ा कारण है, जो कुल महिला कैंसर मामलों का लगभग 28% है। हर राज्य की तस्वीर अलग राज्यों का विश्लेषण यह दिखाता है कि कैंसर का भार पूरे देश में समान नहीं है। पूर्वोत्तर भारत में कैंसर की घटनाएं राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा हैं। मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में हर एक लाख जनसंख्या पर कैंसर की दर 200 से अधिक पाई गई। केरल और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों में भी विशेषकर स्तन और फेफड़े के कैंसर के मामलों में कैंसर का बोझ लगातार बढ़ रहा है। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में कुल संख्या अधिक है, लेकिन यहां जागरूकता और शुरुआती जांच की कमी से मौतों का अनुपात ज्यादा है। मेघालय में भोजन नली के कैंसर का बोझ सबसे ज्यादा है। ये भी पढ़ें:-India-US Tariffs Row: निर्यातकों-कामगारों को राहत पैकेज जल्द, छह माह का रोडमैप तैयार; नए विकल्प तलाश रही सरकार नहीं दिया ध्यान तो भविष्य घातक भारत में कैंसर से सबसे अधिक मृत्यु फेफड़े, पेट और यकृत (लिवर) कैंसर से हो रही है। भारत में कैंसर की मृत्यु दर पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक है, क्योंकि यहां देर से निदान और सीमित इलाज की सुविधाएं हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि 60% से अधिक मरीज तीसरी या चौथी में अस्पताल पहुंचते हैं, जब इलाज कठिन और महंगा हो जाता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 27, 2025, 05:54 IST
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