Lucknow: लेजर से दूर हुआ दांत का संक्रमण...तुरंत हो गई फिलिंग, नई तकनीक ज्यादा कारगर; केजीएमयू कर रहा प्रयोग
कीड़ा लगने के बाद पूरी तरह खराब हो चुके दांत को लेजर की सहायता से न सिर्फ बचाया जा सकता है, बल्कि एक ही बार में उसकी फिलिंग करना भी संभव है। लखनऊ के केजीएमयू के दंत संकाय में 14 मरीजों पर इसका सफल प्रयोग किया गया है। बाकी विधियों के मुकाबले लेजर का इस्तेमाल 90 फीसदी तक ज्यादा प्रभावी साबित हुआ। केजीएमयू के दंत संकाय के प्रो. राकेश कुमार यादव ने बताया कि दांत में कीड़ा लगने के बाद उसका असर जड़ तक पहुंचने पर रूट कैनाल ट्रीटमेंट (आरसीटी) करना पड़ता है। इसमें दांत के अंदर की लुग्दी (जिसे पल्प कहा जाता है) को निकालकर जड़ की सफाई की जाती है। इसके बाद मसालों से तैयार मिश्रण से उसे दोबारा सील कर दिया जाता है। इस तकनीक में दांत को पूरी तरह से साफ किया जाता है। संक्रमण हटाने के लिए दवाएं डाली जाती हैं। इसके बाद फिलिंग के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। इस तकनीक में दांत पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। अध्ययन की रूपरेखा तैयार की गई लेजर का इस्तेमाल चिकित्सा क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है। इसे देखते हुए इस अध्ययन की रूपरेखा तैयार की गई। इसमें 42 प्रतिभागियों को शामिल कर 14-14 की श्रेणियों में बांटा गया। पहले समूह में दांत को विसंक्रमित करने के बाद बायोडेंटाइन (जो जैवसक्रिय सीमेंट है) को दांतों की मरम्मत और फिर से लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया। यह भी पढ़ेंः-अयोध्या:चंपत राय की दो टूक, प्राण प्रतिष्ठा शब्द सुनकर कृपया न आएं, किसी को बुलाया नहीं गया; मौसम भी प्रतिकूल दूसरे समूह में बायोडेंटाइन के साथ लेजर का इस्तेमाल किया गया। तीसरे समूह में सिर्फ लेजर का इस्तेमाल किया गया। देखा गया कि बायोडेंटाइन के साथ लेजर का इस्तेमाल करने वाले समूह को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया। बाकी दोनों समूह के मुकाबले इसके परिणाम 90 फीसदी तक बेहतर थे। नई तकनीक से बचा रहता है दांत प्रो. राकेश ने बताया कि आम आरसीटी में दांत को हड्डी तक साफ कर दिया जाता है। इससे वह पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। दूसरी तकनीक में दांत की सफाई लेजर के प्रभाव से हो जाती है। संक्रमण मुक्त होने के बाद दांत के भीतर मौजूद पल्प को निकालना नहीं पड़ता है। इससे दांत जीवित रहता है। इसका बड़ा फायदा यह भी है कि मरीज को दांत की फिलिंग कराने के लिए बार-बार नहीं दौड़ना पड़ता है। ऐसे में यह तकनीक ज्यादा प्रभावी है। केजीएमयू में नई तकनीक से इलाज हो रहा है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jun 02, 2025, 11:08 IST
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