Bihar Election: बिहार में कैसे लड़ा जा रहा है चुनाव, किस तरह रणनीति बना रही हैं शाह-राहुल और पीके की टीमें?

सब देख रहे थे और राहुल गांधी अपने अंदाज में मल्लाहों के साथ तालाब में कूद गए। तैराकी में दिखाई रफ्तार तो मुस्कराए तेजस्वी यादव। वीडियो खूब चला। मल्लाहों के वोट की आस बढ़ गई, लेकिन बड़ा सवाल है कि राहुल गांधी के इस एडवेंचर कैंपेन से कांग्रेस को क्या मिला कल पहले चरण का मतदान है। भाजपा बिहार चुनाव में पहले नंबर पर आने का दावा ठोक रही है। आखिर कैसे घूम रहा है बिहार विधानसभा चुनाव का पहिया राजद के संस्थापक नेता शिवानंद तिवारी कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तो कभी केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को उनकी नैतिकता याद दिलाने से नहीं चूक रहे हैं। संजय यादव को उम्मीद है कि इस बार तस्वीर बदलेगी। कहना गलत न होगा कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी तेजस्वी यादव ने हर दांव अजमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। चुनाव प्रचार में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने समय दिया है। सत्ता पक्ष की बात करें तो भाजपा के रणनीतिकारों ने इस बार भी चुनाव प्रचार में बड़ी चतुराई दिखाई है। चुनाव जीतने की रणनीति में कोई कसर नहीं छोड़ा। जद(यू) ने दुलारचंद हत्याकांड के बाद केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह तक को मैदान में उतार दिया है। ललन सिंह का मोकामा में जाना, चुनाव प्रचार करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने इसके जरिए भूमिहारों, अगड़ों सबको बड़ा संदेश दिया है। ललन सिंह के इस प्रचार अभियान से धानुक, यादव समेत कई पिछड़ी जातियों की गोलबंदी की संभावना से जहां तेजस्वी की टीम उम्मीद पाल रही है, वहीं प्रशांत किशोर को जातिवाद की राजनीति हावी होने का डर सताने लगा है। कांग्रेस के हिस्से में राहुल का एडवेंचर कैंपेन राहुल गांधी एसआईआरका मुद्दा उठाकर केन्द्रीय चुनाव आयोग पर बड़ा ठीकरा फोड़ था। राहुल के इस अभियान के बाद बिहार में वोट चोर, गद्दी छोड़का नारा खूब लगा। राहुल और प्रियंका की बुलेट मोटर साइकिल की यात्रा ने पूरे बिहार और देश में प्रचार की हवा खड़ी कर दी। लेकिन तब तक न तो चुनाव की घोषणा हुई थी, न महागठबंधन में सीटों का तालमेल सामने आया था और न ही प्रभारी कृष्णा अल्लावरु की बिहार से छुट्टी हुई थी। पिछले चुनाव में 70 सीटों पर लड़ी कांग्रेस को इस बार बड़ा समझौता करना पड़ा। 22 ऐसी सीटों पर समझौता करना पड़ा, जहां कभी भी महागठबंधन का उम्मीदवार नहीं जीता। 28 सीटों पर भी जो प्रत्याशी हैं, सब 14 नवंबर का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस का चुनाव प्रचार और कांग्रेसियों का 5 सितारा होटल मोह पहले चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले राहुल गांधी ने दिल्ली में फिर वोट चोरी का मुद्दा उठाया। राहुल का यह तरीका भाजपा को काफी परेशान करता है। भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी इसे राहुल गांधी द्वारा बिहार चुनाव में हार मानना मानते हैं। भाजपा के ही किशन कुमार कहते हैं कि बिहार में राहुल गांधी को अपनी पार्टी की इज्जत बचानी भारी पड़ रही है। बिहार में चुनाव प्रचार को लेकर कांग्रेस ने शुरुआत दमदार तरीके से करके पांच सितारा होटल में सिमट गई। पटना के होटल में छठवें फ्लोर से चुनाव लड़ने के कल्चर ने पार्टी के प्रत्याशी प्रत्याशियों के माथे पर चिंता पैदा कर दी है। ये भी पढ़ें:BJP Vs Congress:तेलंगाना में भी ललन सिंह के खिलाफ FIR दर्ज, हनुमंत राव ने आचार संहिता उल्लंघन का लगाया आरोप दुलारचंद कांड ने जन सुराज पर फेरा पानी दुलारचंद की हत्या ने पूरे बिहार में नया समीकरण खड़ा कर दिया। 29 अक्टूबर की इस घटना के बाद पूरे बिहार में चुनावी माहौल फिर जातीय गणित, एकजुटता की पटरी पर लौट गया। बिहार में लंबे समय से एक सर्वे एजेंसी के लिए काम कर रहे संदीप कुमार कहते हैं इसका सबसे अधिक नुकसान जन सुराज को होगा। मोकामा के टाल क्षेत्र के नरेश कुमार दिल्ली के मंडावली क्षेत्र में रहते हैं। नरेश कुमार बताते हैं कि इस घटना के बाद धानुक, यादव, मुस्लिमों की बड़ी आबादी, निषाद और अन्य पिछड़ी जातियों का बड़ा समूह गोलबंद हो गया है। नरेश कहते हैं हालांकि हत्या के आरोप में जेल में बंद अनंत सिंह अपना चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन अन्य विधानसभा सीटों पर इस बार समीकरण बदल सकता है। मुंगेर के अमित जायसवाल कहते हैं कि जन सुराज ने इस बार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए थे। शुरुआत अच्छी हुई थी, लेकिन मोकामा के टालक्षेत्र की घटना ने काफी कुछ बदल दिया है। विपक्ष के प्रयास का चुटकियों में तोड़ निकालते हैं अमित शाह केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने अपने नेताओं के साथ बैठक की। चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, जीतन राम माझी और जद(यू) के नेताओं को भरोसे में लेकर प्रचार अभियान को आगे बढ़ाया। चिराग पासवान, नीतीश कुमार के बीच के समीकरण पर काम किया। आरके सिंह, पवन सिंह समेत अन्य मुद्दे सुलझाए। बागियों पर नियंत्रण और अनुशासनात्मक कार्रवाई को आगे बढ़ाया। एक वरिष्ठ नेता की मानें तो धमेन्द्र प्रधान समेत सभी भाजपा नेताओं की जिम्मेदारी तय की गई। चुनाव को कई सेक्टर में बांटा गया। हर दिन किसी न किसी के घर डिनर, सामाजिक समीकरण को ठीक करने, हर रोज के कामकाज का अपडेट आगे के दिशा निर्देश को सुनिश्चित करने का तरीका तय हुआ। सूत्र का कहना है कि यह केवल कागदी रणनीति नहीं है, बल्कि पर रोज अमल में लाई जा रही है। बाजी खेल गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास बिहार में अपनी छवि का जादू था। नीतीश कुमार के राज में हर महिला के खाते में 10 हजार रुपये, जनता के बीच में तमाम घोषणाओं ने भी जद(यू) के नेता के क्रेज को बनाए रखा। हालांकि दुलारचंद हत्याकांड पर संजय वर्मा जैसे पत्रकार कहते हैं कि नीतीश कुमार की छवि के आगे आज भी कोई नहीं है। हालांकि संजय वर्मा का कहना है कि जद(यू) के तमाम नेता भाजपा के एजेंडे पर बिहार में खेल कर रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 05, 2025, 17:42 IST
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