आतंकवाद पर प्रहार : पानी रोकने के बाद अब पनबिजली परियोजनाओं में तेजी लाने की तैयारी, कई दौर की बैठकें

चिनाब का पानी रोककर पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने के बाद अब भारत चार ऐसी निर्माणाधीन पनबिजली परियोजनाओं में तेजी लाने की तैयारी में जुटा है, जो पड़ोसी देश के रुख के कारण लंबित थीं। उद्योग से जुड़े एक सूत्र व सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है कि भारत जून 2026 से अगस्त 2028 के बीच इन परियोजनाओं को शुरू कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अधिकारियों से 3,014 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली चार पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण में आने वाली बाधाएं जल्द से जल्द दूर करने को कहा है। रायटर की एक रिपोर्ट में सरकारी दस्तावेज के हवाले से बताया गया कि इसमें पाकल दुल (1,000 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट), क्वार (540 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) परियोजनाएं शामिल हैं। Operation Sindoor:मॉक ड्रिल पर थी PAK की नजर, तभी भारत ने कर दिया ऑपरेशन सिंदूर; जानिए इस बारे में सब कुछ सूत्रों के मुताबिक, ये सभी परियोजनाएं चिनाब नदी पर बनने वाली है, जिसका पानी सिंधु जल संधि के तहत मुख्य रूप से पाकिस्तान के हिस्से में आता था। सभी परियोजनाएं सितंबर अंत तक पूरी हो जाएंगी। भारत बगलिहार व सलाल बांध बंद करके पहले ही पाक के हिस्से में जाने वाले पानी को लगभग पूरी तरह बंद कर चुका है। माना जा रहा है कि इन परियोजनाओं में तेजी लाकर भारत सिंधु जल संधि निलंबित करने को प्रभावी ढंग से लागू करने का संकेत देना चाहता है। खेती के लिए सिंधु पर निर्भर पाकिस्तान करता रहा है विरोध पाकिस्तान अपने 80% खेतों और अपने अधिकांश जलविद्युत उत्पादन के लिए सिंधु प्रणाली पर निर्भर है। यही वजह है कि आम तौर पर इन परियोजनाओं का विरोध करता रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि इससे नीचे की ओर पानी का प्रवाह कम हो जाएगा। सिंधु जल संधि के तहत, भारत को जल प्रवाह बाधित किए बिना कोई भी पनबिजली परियोजना शुरू करने की अनुमति तो थी, लेकिन इससे पहले पाकिस्तान को छह महीने का नोटिस देना जरूरी था। यही नहीं, ऐसे निर्माण के लिए परस्पर सहमति भी जरूरी थी। निर्माण में तेजी के लिए कई दौर की बैठकें भारतीय उद्योग स्रोत ने बताया कि पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर में परियोजनाओं के संबंध में बिजली मंत्रालय के साथ विभिन्न निजी और सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों की कई बैठकें हुईं। इन सभीपरियोजनाओं का निर्माण भारत की सबसे बड़ी सरकारी पनबिजली कंपनी एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लि.) कर रही है। हालांकि, मामला संवेदनशील होने के कारण आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। उड़ी-2 प्रोजेक्ट के लिए अब झेलम से मिलेगा भरपूर पानी सिंधु जल संधि स्थगित करने के बाद अब उड़ी-2 प्रोजेक्ट के लिए एनएचपीसी को झेलम से भरपूर पानी मिलेगा। तकनीकी खामियों के कारण पहले यह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पा रहा था, पर अब रास्ता साफ हो गया है। सिंधु जल संधि होने के कारण भारत झेलम, सिंध और चिनाब के 20 फीसदी पानी का ही इस्तेमाल कर पा रहा था। 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को जा रहा था। और भी परियोजनाओं पर मंथन जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल ने पहलगाम हमले के बाद बैठक में कहा था कि सिंधु नदी का एक भी बूंद पानी पाकिस्तान तक न पहुंचना सुनिश्चित करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का मतलब यही है कि सरकार नई योजनाएं भी बनाना चाहती है। कुल मिलाकर, भारत 7 गीगावाट की संयुक्त क्षमता वाली कुल सात परियोजनाओं पर काम में तेजी लाना चाहता है, जिसकी लागत करीब 400 अरब रुपये है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 07, 2025, 06:47 IST
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