श्रीनगर में अहिंसा और प्रेम का करना था अनुष्ठान : मोरारी बापू
- डल झील किनारे शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशन हॉल में एलजी ने किया नौ दिवसीय रामकथा का शुभारंभ- मोरारी बापू ने कथा का नाम व्यास श्रीनगर रखा और श्रीनगर आने और यहां का महत्व भी बतायाअमर उजाला ब्यूरोश्रीनगर। डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशन हॉल में शनिवार शाम 4 बजे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नौ दिवसीय रामकथा का शुभारंभ किया। कथा व्यास प्रसिद्ध संत मोरारी बापू ने कहा कि श्रीनगर में अनुष्ठान करना था, सत्य का अहिंसा का, प्रेम का, यह हमारा मूल सूत्र था। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि इस भूमि का चयन इसलिए किया गया कि यहां की जनता का, यहां की साधना का, यहां जो शाश्वत सनातन के उपसमागम के मूल में पड़ी है, उसका व्सास कराना था। इस दौरान उन्होंने मधुर गान के साथ आए हुए श्रद्धालुओं का भी स्वागत किया।उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में 18 बार स्वतंत्र रूप में श्री आया है, और नगर तो बहुत बार आया है। बालकांड, अयोध्याकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड आदि सभी जगह नगर का प्रयोग है। इसीलिए श्री और नगर शब्द को लेकर जो मेरे मन में आया तो मैंने रामकथा का नाम मानस श्रीनगर कथा रखा।पहले दिन शनिवार को कथा शाम 7 बजे तक चली। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद ग्रहण कराया गया। रविवार से कथा सुबह 11 बजे से 1 बजे तक चलेगी। बापू बोले-लाल चौक में करनी थी कथाकथा के दौरान बापू ने बताया कि उनकी इच्छा लाल चौक में कथा करने की थी। प्रशासन की परेशानी को देखते हुए यहां आयोजन किया। उन्होंने कहा कि जहां कथा की चौकी बैठ गई वही लाल चौक हो गया। वैसे भी व्यास पीठ अपनी स्थान खुद चुनती है।समिति ने कराए सभी प्रबंधआयोजन समिति से जुड़े ब्रजेश पांडे ने बताया कि बापू की कथा में पहले दिन देश-विदेश के करीब डेढ़ हजार श्रद्धालु शामिल हुए। सबसे ज्यादा श्रद्धालु गुजरात से थे। ठहरने से लेकर खाने तक का प्रबंध आयोजन समिति की ओर से किया जा रहा है। तेज हवा और बारिश के बीच भी बरकरार रहा जोशश्रीनगर में शनिवार को सुबह से कभी रिमझिम तो कभी तेज बारिश होती रही। शाम करीब 6 बजे काफी तेज हवा के साथ बारिश हुई। खराब मौसम में भी श्रद्धालुओं का जोश बरकरार रहा। डल झील हिलोरें मारती रहीं, और कथा चलती रही।रामकथा की भाषा सार्वभौमिक, सभी संप्रदायों में गूंजता है प्रभु श्रीराम का संदेश : एलजीश्रीनगर। रामकथा के शुभारंभ के अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पवित्र रामकथा की भाषा सार्वभौमिक है और प्रभु श्रीराम का धर्म, करुणा, न्याय और कर्तव्य का संदेश सभी संस्कृतियों और संप्रदायों में गूंजता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रामकथा ने सदियों से अरबों लोगों के लिए नैतिक मार्गदर्शन, साझा आख्यान और एकता की भावना प्रदान करते हुए समाज को आकार दिया है। भगवान राम के आशीर्वाद ने मानवता के लिए मार्ग प्रशस्त किया है और मोरारी बापू द्वारा दुनिया भर में राम कथा ने लोगों को एकजुट किया है और ज्ञान की प्रेरणा दी है। रामकथा हमें बेहतर समाज के निर्माण में मार्गदर्शन करती रहेगी। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का भविष्य नहींएलजी ने कहा कि सुबह जो सूफी काॅन्फ्रेंस हुई, उससे प्रेम और सौहार्द का वातावरण और मजबूत हो जम्मू कश्मीर में इसका सन्देश दिया। अनेक सूफी स्कॉलर्स ने उसपर विचार व्यक्त किया और मैं समझता हूँ कि रामकथा भी उसके कन्ट्यूनेशन में ही इसी सन्देश को आगे बढ़ा रहा है। अलगाववाद और आतंकवाद का भविष्य जम्मू कश्मीर में नहीं है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 20, 2025, 03:00 IST
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