बिना दहेज के शादी: लड़की पक्ष को लौटाया एक करोड़ कैश; हरियाणा में दहेज के खिलाफ बड़ा संदेश
समाज में दहेज प्रथा वर्षों से एक ऐसी कुरीति के रूप में जड़ें जमा चुकी है जिसने अनेक परिवारों को आर्थिक, मानसिक और सामाजिक रूप से कमजोर किया है। दहेज की मांग ने अनगिनत बेटियों का जीवन कठिन बना दिया है। ऐसे समय में जब आधुनिकता और शिक्षा बढ़ने के बावजूद दहेज प्रथा अपनी पकड़ ढीली नहीं कर पा रही। उसी दौर में एसडी स्कूल के चेयरमैन जगदेव यादव ने एक ऐसा ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया है, जिसने समाज में एक नई उम्मीद और सकारात्मक संदेश का संचार किया है। उन्होंने न सिर्फ अपने पुत्र की शादी बिना दहेज के की, बल्कि शादी के दौरान पारंपरिक रस्मों के नाम पर आए एक करोड़ रुपये की दहेज राशि को ससम्मान लड़की पक्ष को लौटा कर यह साबित कर दिया कि सामाजिक परिवर्तन सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि मजबूत संकल्प और कर्म से आता है। समारोह में आए मेहमानों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में जगदेव यादव ने लड़की पक्ष से मिली राशि वापस की। कई लोग हैरान थे क्योंकि अक्सर दहेज को “परंपरा” और “सम्मान” का नाम देकर स्वीकार कर लिया जाता है। लेकिन जगदेव यादव ने इसे पूरी निष्ठा और स्पष्टता के साथ नकार दिया। समाज में बढ़ते दहेज के बोझ के खिलाफ मजबूत संदेश आज भी ग्रामीण हो या शहरी इलाका दहेज परिवारों पर एक बड़ा बोझ बना हुआ है। कभी लड़के की नौकरी या व्यापार के नाम पर रकम बढ़ाई जाती है, तो कभी गाड़ियों, प्लॉट, ज्वेलरी और नकदी की मांग की जाती है। कई परिवार कर्ज में डूबकर बेटियों की शादी करते हैं। ऐसे वातावरण में जगदेव यादव का कदम एक सामाजिक क्रांति जैसा है। कई स्थानीय लोगों ने कहा कि यह विवाह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। स्कूल के शिक्षक, अभिभावक और समाजसेवी लगातार जगदेव यादव की सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा संस्थानों से जुड़े लोगों को सिर्फ किताबों से नहीं, खुद भी समाज में सकारात्मक उदाहरण स्थापित करने चाहिए और जगदेव यादव ने यही किया है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 10, 2025, 19:48 IST
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