Noida News: एक अंग के इंतजार में रोज 15 लोग गंवाते हैं जान

एक अंग के इंतजार में रोज 15 लोग गंवाते हैं जानराष्ट्रीय अंगदान दिवस पर आयोजित जागरूकता सत्र में भारत की स्थिति पर चर्चा माई सिटी रिपोर्टर नोएडा। पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में अंगदान की दर बेहद कम है। कम से कम एक अंग के इंतजार में रोजाना देश में 15 मरीजों को जान गंवानी पड़ती है। राष्ट्रीय अंगदान दिवस के अवसर पर रविवार को मेट्रो अस्पताल में जागरूकता सत्र आयोजित किया गया। इसमें विशेषज्ञों ने देश में अंगदान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।वरिष्ठ किडनी विशेषज्ञ एवं ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. निमिष गुप्ता ने कहा कि देश में हर साल पांच लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, लेकिन लगभग आठ हजार यानी चार प्रतिशत रोगियों का ही ट्रांसप्लांट हो पाता है। अंगदान को लेकर लोगों में तमाम भ्रांतियां हैं। लोग समझते हैं कि इससे शरीर कमजोर हो जाएगा और ज्यादा परिश्रम वाला काम नहीं कर पाएंगे, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। एक किडनी शरीर को फिट रख सकती है। अब किडनी प्रत्यारोपण दूरबीन से होता है। इसमें कोई दर्द या जटिल ऑपरेशन नहीं होता है। दो दिन में डोनर की अस्पताल से छुट्टी कर दी जाती है। अंगदान कर हम कई लोगों की जान बचा सकते हैं। लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अंकुर गर्ग ने कहा कि भारत में अंगदान हमेशा से ही बहुत कम रहा है। अनुमान के मुताबिक, देश में प्रति दस लाख जनसंख्या पर केवल 0.65 प्रतिशत अंगदान होते हैं, जबकि स्पेन में 35 और अमेरिका में 26 फीसदी अंगदान किया जाता है। भारत में केवल तीन प्रतिशत रजिस्टर्ड ऑर्गन डोनर हैं। हर साल लगभग 80 हजार रोगियों को लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, लेकिन इनमें से केवल 1800 ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं। लिवर निकालने के छह घंटे के अंदर और किडनी 12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। अंगदान की दर कम होने की वजह जागरूकता की कमी और नकारात्मक दृष्टिकोण है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 23, 2023, 16:42 IST
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