US: रूस-यूक्रेन युद्ध से US की हथियार बिक्री में भारी उछाल, 150 अरब डॉलर से अधिक हुआ यूरोप में ठेकों का मूल्य

फरवरी 2022 से लगातार अब तक जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने अमेरिकी रक्षा कंपनियों को मालामाल करते हुए हथियार बिक्री को नए शिखर पर पहुंचा दिया है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन और स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट(सिप्पी) की रिपोर्टों के अनुसार इस युद्ध के दौरान यूरोप और नाटो देशों ने अपने रक्षा बजट में भारी वृद्धि की है। केवल वर्ष 2022-23 में ही अमेरिका ने यूक्रेन को 60 अरब डॉलर से अधिक के हथियार और सुरक्षा उपकरण बेंचे जिनमें से अधिकांश हथियार लॉकहीड मार्टिन, रेथियान, नॉर्थ्रॉप ग्रुमैन और जनरल डायनैमिक्स जैसी अमेरिकी कंपनियों से खरीदे गए। इसका सीधा नतीजा यह हुआ कि इन कंपनियों के शेयर दोगुनी रफ्तार से बढ़े और उनके राजस्व में अरबों डॉलर का इजाफ़ा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन को प्रत्यक्ष सहायता देने के साथ-साथ अमेरिका ने यूरोपीय देशों की रक्षा जरूरतों का भी फायदा उठाया। जर्मनी, पोलैंड, फिनलैंड और अन्य नाटो सदस्य देशों ने अमेरिका से पैट्रियट मिसाइल सिस्टम, एफ-35 लड़ाकू विमान, हाइमार्स रॉकेट सिस्टम और ड्रोन तकनीक की खरीदारी तेज कर दी। अनुमान है कि 2022 से अब तक यूरोप में अमेरिकी हथियार कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट्स का मूल्य 150 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है। ये भी पढ़ें:Epstein Case:अमेरिकी कोर्ट ने ठुकराई न्याय विभाग की मांग, ग्रैंड जूरी दस्तावेज सार्वजनिक करने से किया इनकार अमेरिकी रक्षा कंपनियों के शेयरों में उछाल युद्ध शुरू होने के बाद लॉकहीड मार्टिन के शेयरों में लगभग 40% की बढ़ोतरी हुई, जबकि रेथियान और नॉर्थ्रॉप ग्रुमैन जैसी कंपनियों ने रिकॉर्ड लाभ दर्ज किया। देखा जाए तो अमेरिकी हथियार उद्योग के लिए यह युद्ध गोल्डन पीरियड साबित हुआ है। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी रक्षा ठेकेदारों का मुनाफा केवल हथियार सप्लाई तक सीमित नहीं है बल्कि रिपेयर, मेंटेनेंस और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन से भी लगातार बढ़ रहा है। भारत और एशियाई देशों में अमेरिकी हथियार बिक्री अमेरिका का हथियार निर्यात केवल यूरोप तक सीमित नहीं है, एशिया में भी इसकी बड़ी पकड़ है। भारत ने पिछले एक दशक में अमेरिका से अरबों डॉलर के हथियार खरीदे हैं। सिप्री के अनुसार 2013 से 2023 के बीच भारत ने अमेरिका से करीब 60,000 करोड़ रुपए (लगभग 7.5 अरब डॉलर) मूल्य के हथियार खरीदे। इनमें सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान, सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस, पी-8आई समुद्री निगरानी विमान, अपाचे हेलीकॉप्टर, चिनूक हेलीकॉप्टर और एम777 हॉवित्जर तोपें शामिल हैं। हाल के वर्षों में अमेरिका और भारत के बीच प्रीडेटर ड्रोन, एफ-414 इंजन और एयर डिफेंस सिस्टम की डील पर भी बातचीत चल रही है। ये भी पढ़ें:US:नौकरी से निकाले जा रहे कम से कम 600 सीडीसी कर्मचारी, यूनियन ने कहा- मिल रहे स्थायी बर्खास्तगी नोटिस अमेरिकी कंपनियों के लिए लाभकारी सौदा रिपोर्ट कहती है कि कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध अमेरिका की रक्षा कंपनियों के लिए लाभकारी सौदा बन गया है। अमेरिका ने सीधे हथियार सप्लाई और नाटो सहयोगियों के जरिए अपने रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। हर बड़े युद्ध और संघर्ष से अमेरिका की हथियार कंपनियों और उसकी रणनीतिक पकड़ को लाभ ही मिलता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 21, 2025, 07:18 IST
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