Panipat News: सिटी आईएमटी के लिए करोड़ों में फंसी बात, सरकार ने फिर मंत्रणा के दिए निर्देश

अंबाला सिटी। अंबाला शहर के ग्रामीण क्षेत्र में इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। आईएमटी के लिए 2 हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता है, इस परियोजना को जमीन देने के लिए करीब 1250 एकड़ की किसानों ने पोर्टल पर सहमति भी दे दी है। मगर पेंच जमीन के मुआवजे पर फंसा हुआ है। किसानों ने इस बार पहले की तुलना में अधिक मुआवजे की मांग की है। जबकि अधिकारियों की मानें तो स्थानीय स्तर पर इतने जमीन के दाम नहीं हैं। किसान प्रति एकड़ दो करोड़ रुपये की मांग पर कर रहे हैं, जबकि एचएसआईआईडीसी के आकलन के अनुसार 90 लाख के आसपास जमीन की कीमत है। जमीन के मुआवजे पर पिछली बार भी किसानों और सरकार का पेंच फंसा था तो सरकार ने दोबारा से किसानों से बात करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद एचएसआईआईडीसी ने किसानों ने मुलाकात की है मगर किसानों की एक ही राय है कि वह जमीन दे रहे हैं यही बड़ी बात है, दो करोड़ रुपये से कम नहीं आएंगे। ऐसे में सिटी में आईएमटी का निर्माण अधर में फसा हुआ है। एचएसआईआईडीसी के एस्टेट मैनेजर रघुबीर सिंह से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी किसानों से वार्ता चल रही है जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। नग्गल, नड़ियाली और खैरा गांव में चिह्नित की है जमीन सरकार ने अंबाला सिटी के ग्रामीण क्षेत्र नग्गल, नड़ियाली और खैरा गांव को आईएमटी के लिए चिह्नित किया था। इन गांवों से हाल ही में किसानों से आवेदन मांगे गए थे। 2 हजार एकड़ भूमि के लिए मांगे गए आवेदनों में से 1250 एकड़ भूमि के लिए किसानों ने इच्छा जता दी है। एचएसआईआईडीसी अब किसानों से बात कर कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगा, क्योंकि किसानों द्वारा प्रस्तावित किए रेटों पर बात नहीं बनेगी। इसमें कुछ जमीनें जो सड़क किनारे की हैं उन पर फिर भी विचार किया जा सकता है मगर गांव के भीतर की जमीन पर विभाग किसी तरह से इस रेट पर राजी हो जाएं यह मुश्किल है। जबकि आईएमटी के लिए जब वर्ष 2022 के आखिर में और वर्ष 2023 की शुरुआत में किसानों से बात की कई थी तब भी जमीन के इतने रेट की मांग नहीं की गई थी। अब यह मामला एक जटिल समस्या बन गया है। निचला इलाका भी बनेगा चुनौती इन गांवों में आईएमटी प्रस्तावित की गई है वह निचला इलाका भी है। यहां अक्सर अत्यधिक बारिश या नदियों में पानी आने से बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। हाल ही में बाढ़ जैसे हालात बने तो इन गांव की जमीनें पानी की जद में आईं थीं। ऐसे में इस फैक्टर को भी देखा जा रहा है। अगर आईएमटी के लिए कोई रास्ता नहीं निकला ताे उपायुक्त भी बैठक लेकर किसानों से मंत्रणा कर सकते हैं ताकि किसी तरह से आईएमटी के निर्माण की परियोजना को सिरे चढ़ाया जा सके।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 12, 2025, 02:45 IST
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