Supreme Court: क्या अग्रिम जमानत के लिए सत्र अदालत जाना अनिवार्य होना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
क्या वादी को अग्रिम जमानत के लिए पहले सत्र न्यायालय जाना अनिवार्य है या फिर यह वादी की मर्जी है कि वह पहले उच्च न्यायालय जाए सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले को तीन जजों की पीठ को भेजने का निर्देश दिया और पीठ के गठन तक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। सर्वोच्च अदालत ने इससे पहले इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा को न्याय मित्र नियुक्त किया था। केरल हाईकोर्ट को जारी किया नोटिस दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय की इस सामान्य प्रैक्टिस पर संज्ञान लिया है, जिसमें केरल हाईकोर्ट अक्सर वादी के सत्र न्यायालय जाए बिना, अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करता है। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने इस पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि अन्य राज्यों में ऐसा नहीं होता, लेकिन केरल हाईकोर्ट में ये सामान्य बात है। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के जरिए केरल हाईकोर्ट को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने दो लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की, जिनकी केरल हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि याचिकाकर्ताओं ने सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और सत्र न्यायालय को बायपास कर दिया था। पीठ ने कहा कि क्योंकि उच्च न्यायालय वादी के बिना सत्र न्यायालय जाए उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहा है, इसलिए कई तथ्य सामने नहीं आ पा रहे, जो सत्र न्यायालय जाने पर सामने आ सकते हैं। यही वजह है कि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने का फैसला किया है कि क्या वादी का अग्रिम जमानत के लिए पहले सत्र न्यायालय जाना जरूरी है या फिर वह सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। ये भी पढ़ें-Assam:पूर्वोत्तर में नया सैन्य स्टेशन, बांग्लादेश बॉर्डर से 40KM दूर; सीमा सुरक्षा और खुफिया तंत्र के लिए अहम
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 12, 2025, 13:12 IST
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