Politics: सतीश पूनिया बोले-इस्तीफे वापस लेकर कांग्रेस विधायकों ने लोकतंत्र की हत्या की

25 सितम्बर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर पैरेलल बैठक बुलाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को इस्तीफा सौंपने और अब इस्तीफे वापस ले रहे सीएम गहलोत गुट के विधायकों पर राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ दोनों ने निशाना साधा है। पूनिया ने कहा- जिस तरह से कांग्रेस शासनकाल में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफ़े निजी स्वार्थ के लिए हुए, वह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। इस्तीफ़े देकर इस्तीफ़े वापस लेना कांग्रेस के विधायकों के राजनीतिक चरित्र को उजागर करता है। हाईकोर्ट में पेंडिंग है इस्तीफों पर याचिका बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा- राजस्थान बीजेपी विधायकों के शिष्टमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफ़ों को पेंडिंग नहीं रखने और निर्णय लेने का आग्रह किया था। एक जनहित याचिका उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने भी राजस्थान हाईकोर्ट में पेश की थी। जो अभी हाईकोर्ट में पेंडिंग चल रही है। लेकिन इस्तीफ़ों को अकारण देना और अकारण वापस लेना, दोनों क़ानूनी और लोकतांत्रिक प्रकिया के खिलाफ हैं। कांग्रेस के विधायकों का यह काम लोकतंत्र की हत्या है। स्वैच्छिक इस्तीफ़े वापस लेने का अधिकार विधायक को नहीं पूनिया ने कहा- जनप्रतिनिधि खासकर विधानसभा सदस्य की ओर से इस्तीफ़ा देने और वापस लेने की प्रक्रिया संविधान से रेग्युलेट होती है। इस प्रक्रिया के दौरान सभी संस्थाओं का आचरण संविधान के दायरे में होना जरूरी है। विधानसभा सदस्य को इस्तीफ़ा देने का अधिकार तो संविधान ने दिया है, लेकिन उस पर निर्णय करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष का है। किसी भी परिस्थिति में स्वैच्छिक इस्तीफ़े को वापस लेने का अधिकार सदस्य को नहीं दिया गया है। याचिका के पॉइंट्स का सामना करने की स्थिति में नहीं काग्रेस विधायक राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा- एक बार इस्तीफा देने के बाद वापस लेने का कोई प्रोविजन नहीं है। कांग्रेस विधायक जनता को गुमराह कर रहे हैं। कांग्रेस के विधायक हाईकोर्ट में मेरी जनहित याचिका में उठाए गए पॉइंट्स का सामना करने की स्थिति में नहीं थे। इसलिए घबराकर इस्तीफे वापस लिए गए हैं। यह लोकतंत्र का तमाशा बनाया जा रहा है। जब मंत्रियों ने इस्तीफे दे दिए थे, तो अब तक उनके फैसले कैसे लागू हो रहे थे, यह भी सोचने वाली बात है। कांग्रेस सरकार को सदन में विश्वास हासिल नहीं था। मंत्री और विधायकों को इस्तीफे के पीरियड तक के वेतन-भत्ते भी वापस लौटाने चाहिए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 31, 2022, 14:48 IST
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