हिमाचल, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मी में बारिश का कहर जारी
मानसून की बारिश इस बार देशभर में राहत से ज्यादा आफत लेकर आई है। उत्तर से लेकर पश्चिम और पूर्व तक कई राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन से हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। कहीं श्रद्धालु फंसे हैं, कहीं मजदूर पानी में डूब गए हैं तो कहीं पूरी-की-पूरी बस्तियां जलमग्न हो चुकी हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें मोर्चा संभाले हुए हैं, लेकिन तबाही का मंजर लगातार गहराता जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मणिमहेश यात्रा के दौरान मौसम की मार ने श्रद्धालुओं को भारी संकट में डाल दिया। भारी बारिश और नदी-नालों में उफान के बीच तीन मणिमहेश श्रद्धालुओं समेत आठ लोगों के शव बरामद किए गए। भरमौर से 524 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालकर चंबा पहुंचाया गया। राज्य में जगह-जगह भूस्खलन और सड़क टूटने से आवाजाही बुरी तरह प्रभावित है। गुजरात के खतरनाक हालात की तस्वीर भी सामने आई है। एक हाइड्रो पावर प्लांट में नदी का पानी घुस गया, जिससे पांच मजदूर डूबकर मौत के शिकार हो गए। यह हादसा अचानक आया जब तेज बहाव का पानी मशीनों और सुरंगों के रास्ते प्लांट में घुस गया। प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, लेकिन मजदूरों को बचाया नहीं जा सका। राजस्थान के अजमेर जिले में बारिश ने तबाही मचाई। बोराज बांध का हिस्सा टूट गया, जिसके बाद अजमेर शहर में पानी भर गया। कई कॉलोनियां और मुख्य बाज़ार जलमग्न हो गए। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से घरों में ही रहने की अपील की है। राहत-बचाव कार्य में टीमें लगी हुई हैं, लेकिन भारी बारिश से मुश्किलें और बढ़ रही हैं। पंजाब में पिछले कई दिनों से जारी बारिश और बाढ़ के बीच शुक्रवार को थोड़ी राहत मिली। बारिश थमी तो लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का पानी अब भी उफान पर है। फजिल्का, गुरदासपुर और लुधियाना समेत कई जिलों में हालात गंभीर बने हुए हैं। लुधियाना में सतलुज नदी का तेज बहाव तटबंध के लिए खतरा बन गया है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया। राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 45 लोगों की मौत हो चुकी है। 23 जिलों के 1,655 गांवों में चार लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। 20,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। 1.71 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। यह बाढ़ 37 साल बाद पंजाब के लिए सबसे बड़ी त्रासदी साबित हो रही है। हरियाणा में घग्गर और मारकंडा नदियों का जलस्तर अब भी चिंता का विषय बना हुआ है। कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में मारकंडा उग्र बनी हुई है, वहीं सिरसा, फतेहाबाद और कैथल जिलों में घग्गर का पानी खेतों और गांवों में घुस गया है। शुक्रवार को भी जलभराव और हादसों से तीन लोगों की मौत हो गई। झज्जर के बहादुरगढ़ में हालात बिगड़ने पर सेना को बुलाया गया। जवानों ने एनडीआरएफ और सिंचाई विभाग के साथ मिलकर मुंगेशपुर ड्रेन के तटबंध को मजबूत करने का काम शुरू किया। करीब 3,000 लोग अपने घरों में फंसे हैं और बाहर निकल नहीं पा रहे हैं। स्कूलों पर भी बाढ़ का असर पड़ा है। पंचकूला, हिसार, रोहतक और झज्जर में सभी स्कूल बंद कर दिए गए हैं। फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और फरीदाबाद के कुछ स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में भी बारिश ने जनजीवन ठप कर दिया है। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग लगातार चौथे दिन बंद रहा। कई जगहों पर भूस्खलन, मिट्टी धंसने और पत्थर गिरने से मार्ग बाधित हो गया है। सिंथन रोड पर भी यातायात बंद है। हालांकि मुगल रोड को आंशिक रूप से खोल दिया गया। भूस्खलन के कारण राजौरी-जम्मू हाईवे भी करीब दो घंटे बंद रहा। वहीं, सुरक्षा कारणों और मौसम की स्थिति को देखते हुए 11वें दिन भी माता वैष्णो देवी यात्रा स्थगित रही। श्रद्धालु दर्शनी ड्योढ़ी से ही दर्शन कर लौटने को मजबूर हैं। कश्मीर घाटी में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी शैक्षणिक संस्थान लगातार तीसरे दिन बंद रखे गए। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मानसून आपदाओं पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पूरे राष्ट्र के लिए दुखद समय है और प्रभावित लोगों के साथ पूरा देश खड़ा है। राष्ट्रपति ने बचाव और राहत कार्य में जुटे जवानों और अधिकारियों की सराहना की और कहा कि हम सब मिलकर इस संकट से उबरेंगे। झारखंड के धनबाद जिले से भी दर्दनाक खबर आई। यहां भूस्खलन के बाद एक खुली खदान के तल में जमा पानी में एक वैन गिर गई। वैन में चार लोग सवार थे, जो अब भी लापता हैं। यह हादसा करीब 150 फीट गहरी खदान में हुआ। स्थानीय गोताखोरों की मदद से बचाव कार्य शुरू किया गया है। देश के कई राज्य इन दिनों बाढ़, बारिश और भूस्खलन से जूझ रहे हैं। लाखों लोग प्रभावित हैं, फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राहत और बचाव का काम जारी है, लेकिन मौसम की अनिश्चितता ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सरकारें लगातार हालात पर नज़र रख रही हैं, लेकिन फिलहाल आम लोगों की दुआ यही है कि बारिश थमे और हालात सामान्य हों।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 06, 2025, 11:57 IST
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