वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज की बनी यूपी की पहचान: सीएम

- नोएडा के सेक्टर-50 में निजी अस्पताल के उद्घाटन समारोह में बोले योगी आदित्यनाथ माई सिटी रिपोर्टरनोएडा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले प्रदेश की पहचान वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया के रूप में थी जिसे अब बदलकर वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज कर दिया गया है। बृहस्पतिवार को सेक्टर-50 में एक निजी अस्पताल के उद्घाटन समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के हर जनपद में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। हाउसिंग नियमों में संशोधन कर सात मीटर चौड़ी सड़क पर भी अस्पताल बनाने की अनुमति दी गई है। प्रदेश सरकार ने मेडिकल सुविधाओं के साथ कनेक्टिविटी को भी प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के करीब 10 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जोड़ा गया है। इसके अलावा सरकार आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पीछे रहना संभव नहीं है। आठ वर्ष पहले गरीब व्यक्ति इलाज के लिए अपनी संपत्ति बेचने और जेवर गिरवी रखने को मजबूर था। लोग इलाज कराने के लिए पत्र लिखवाने के लिए आते थे। लेकिन पिछले 6–7 वर्षों में आयुष्मान भारत योजना के तहत देश भर में 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है।उन्होंने बताया कि प्रदेश में वंचित तबके को भी स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री राहत कोष से एक वर्ष में 1300 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है। आज प्रदेश में गरीब से गरीब व्यक्ति भी बेहतर इलाज पा रहे हैं यह डबल इंजन सरकार की गारंटी है। कोविड काल में वर्चुअल आईसीयू और सामान्य रोगियों के लिए टेली-कंसल्टेशन जैसी सुविधाएं शुरू की गईं।इंसेफलाइटिस पर किया गया कार्यमुख्यमंत्री ने कहा कि पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश के समय इंसेफलाइटिस से हर साल 1200 से 1500 बच्चों की मौत हो जाती थी। 1998 में पहली बार सांसद बनने के बाद जब वह अस्पताल पहुंचे तो एक वार्ड की स्थिति देखकर दंग रह गए थे। एक-एक बेड पर तीन-चार बच्चे भर्ती थे। उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी की बात कहकर प्रिंसिपल काम चला रहे थे। समय के साथ सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं फिर भी मौतें कम नहीं हो रही थीं। मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मुद्दे के समाधान के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की गईं। 40 वर्षों में लगभग 50 हजार बच्चों की जान लेने वाली यह बीमारी केवल दो वर्षों में काफी हद तक नियंत्रित कर दी गई है। आज अस्पतालों में सुविधाएं पहले से कहीं बेहतर हैं।बचाव के लिए जागरूकता जरूरीमुख्यमंत्री ने कहा कि मरीज डॉक्टर पर पूरा विश्वास करता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उनके गुरुजी तभी अस्पताल जाते थे जब डॉक्टर उन्हें बुलाते थे। उपचार महत्त्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी अधिक आवश्यक है लोगों को बीमारी से बचाव के बारे में जागरूक करना। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को यह शक्ति ईश्वर ने दी है कि वे किसी की जान बचा सकते हैं और इस शक्ति का उपयोग समाज के हित में होना चाहिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश में अस्पतालों का विस्तार किया गया है और आगे भी सरकार हर संभव सहयोग करेगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 27, 2025, 19:54 IST
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