Delhi News: दूषित भूजल से निपटने में लापरवाही पर एनजीटी की फटकार

-डीजेबी और डीपीसीसी को चार सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का दिया आदेशसंवाद न्यूज एजेंसीनई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आवासीय सोसाइटियों में खराब और दोषपूर्ण वर्षा जल संचयन प्रणालियों (आरडब्ल्यूएच) के चलते द्वारका में भूजल प्रदूषण से निपटने में दिल्ली के अधिकारियों की तरफ से की गई अपर्याप्त कार्रवाई पर फटकार लगाई है। ऐसे में अदालत ने डीजेबी और डीपीसीसी को चार सप्ताह के अंदर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा। साथ ही, आवेदक को कानूनी सलाहकार नियुक्त करने का समय दिया। मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी। अदालत ने यह भी नोट किया कि मूल 2021 के आदेश में डीजेबी, डीपीसीसी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को शामिल करते हुए संयुक्त सुधारात्मक कार्य योजना अनिवार्य की गई थी। चूंकि सीपीसीबी को मौजूदा निष्पादन कार्यवाही में पक्ष नहीं बनाया गया था, इसलिए आवेदक को इसे शामिल करने के लिए उचित कदम उठाने की अनुमति दी गई।यह मामला 2021 में दायर एक मूल आवेदन से उत्पन्न हुआ है, जिसमें द्वारका की आवासीय कॉलोनियों में दोषपूर्ण या उपेक्षित वर्षा जल संचयन बुनियादी ढांचे के कारण भूजल प्रदूषण के बारे में चिंता जताई गई थी। एनजीटी ने पहले डीजेबी, डीपीसीसी और सीपीसीबी द्वारा एक संयुक्त कार्य योजना सहित सुधारात्मक उपायों का आदेश दिया था। सुनवाई के दौैरान आवेदक महेश चंद्र सक्सेना अधिकरण के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने संबंधित एजेंसियों की तरफ से पूर्व में जारी किए गए उपचारात्मक निर्देशों को लागू करने में निरंतर विफलता पर जोर दिया। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने 22 जुलाई, 2025 को पुनः प्रस्तुत की गई एक नई रिपोर्ट में द्वारका में 176 आवासीय सोसाइटियों में किए गए एक सर्वेक्षण के चौंकाने वाले निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए।डीजेबी की रिपोर्ट से पता चला कि 115 सोसाइटियों में भूजल फीकल कोलीफॉर्म से दूषित था। चार सोसाइटियों में वर्षा जल संचयन (आरडब्ल्यूएच) प्रणालियां पूरी तरह से निष्क्रिय थीं। 25 सोसाइटियों में सूखे गड्ढे थे और केवल 32 सोसाइटियों में फीकल कोलीफॉर्म की कोई उपस्थिति नहीं पाई गई। अदालत ने पाया कि डीजेबी ने पहले 20 जनवरी, 2025 को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सूचित किया था, जिसमें चूक करने वाली सोसाइटियों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, एनजीटी के समक्ष कोई ठोस अनुवर्ती कार्रवाई प्रस्तुत नहीं की गई, जिससे प्रवर्तन को लेकर चिंताएं पैदा हुईं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 07, 2025, 19:39 IST
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