Dehradun : तीन हजार साल पहले हरी-भरी थीं लद्दाख की वादियां, वाडिया इंस्टीट्यूट के शोध में खुलासा

देश के शीत मरुस्थल कहे जाने वाली लद्दाख की वादियों में भी तीन हजार साल पहले हरियाली थी। यहां वनस्पतियों की हजारों प्रजातियां पाई जाती थीं। यह खुलासा वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के शोध में हुआ है। शोध के मुताबिक पिछले तीन हजार साल में जलवायु में हुए व्यापक बदलाव और मध्य एशिया के साथ ही भूमध्य सागरीय क्षेत्र से आने वाली हवाओं के चलते लद्दाख का यह इलाका शीत मरुस्थल में तब्दील हो गया। यही कारण है कि यहां वनस्पतियां तेजी से विलुप्त हो गईं। हाल ही में वाडिया इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके राय की अगुवाई में वैज्ञानिक डॉ. साक्षी मौर्य और डॉ. सुमन रावत ने लेह लद्दाख और आसपास के इलाकों में शोध किया। उन्होंने वहां की मिट्टी के नमूने लेकर जांच की। 1.17 लाख वर्ग किमी में फैला है संसार का सबसे ऊंचा पठार देश में शीत रेगिस्तान का सबसे बड़ा हिस्सा लद्दाख में है। लगभग 1.17 लाख वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले लद्दाख को संसार का सबसे ऊंचा पठार कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 2,750 मीटर से लेकर 7,672 मीटर है। इतनी ऊंचाई के कारण मानसून के दौरान यहां बादल बरस नहीं पाते। इसलिए यहां बहुत कम बारिश होती है। शीत मरुस्थलीय इलाके में पीछे खिसक रहे ग्लेशियर शीत मरुस्थलीय इलाके लद्दाख के जांस्कर स्थित ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने 2016 से 2019 के बीच अध्ययन किया। इसमें पाया कि पेंसिलुंगपा ग्लेशियर 6.7 मीटर सालाना की दर से पीछे खिसक रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके लिए सीधे तौर पर जलवायु में साल दर साल हो रहा बदलाव जिम्मेदार है। इसके चलते इस क्षेत्र में तापमान बढ़ने के साथ ही सर्दियों में होने वाली बारिश भी कम होती जा रही है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 02, 2023, 03:53 IST
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