Jharkhand: राज्य के बच्चे बनेंगे एक दिन के विधानसभा अध्यक्ष, विश्व बाल अधिकार दिवस पर स्पीकर ने कही बात
विश्व बाल अधिकार दिवस के अवसर पर रांची में बाल तस्करी से आजादीसुरक्षित बचपन, सशक्त झारखंडविषय पर राज्यस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र कुमार महतो ने कहा कि झारखंड के बच्चों में असीम संभावनाएंहैं, लेकिन कई बच्चे दलालों और प्लेसमेंट एजेंसियों के बहकावे में आकर तस्करी का शिकार हो जाते हैं, जो अत्यंत गंभीर और दुःखद स्थिति है। महतो ने कहा कि इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार और समाज दोनों को पूरी शक्ति के साथ प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की कई सामाजिक सुरक्षा योजनाएँकिशोरी बाई समृद्धि योजना, मइयां सम्मान योजना, गुरूजी क्रेडिट कार्ड योजना बाल तस्करी के खिलाफ मजबूत ढाल का कार्य कर रही हैं। इन योजनाओं से परिवारों को आर्थिक मजबूती मिलती है और तस्करी की संभावनाएंकम होती हैं। पढे़ं:राजद ने शपथ ग्रहण की नई पंक्तियां जारी की; आठ मंत्रियों को निशाने पर रख क्या लिखा उन्होंने बाल कल्याण संघ के 25 वर्षों के संघर्ष की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन कठिन परिस्थितियों में भी लगातार सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कार्य कर रहा है। महतो ने कहा कि गांव के स्तर से लेकर राज्य के शीर्ष पदों पर बैठे सभी अधिकारियों और प्रतिनिधियों को इस समस्या पर गंभीरता से कदम उठाने होंगे। बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य उपलब्ध कराना सभी की साझा जिम्मेदारी है। बच्चे बनेंगे एक दिन के विधानसभा अध्यक्ष कार्यक्रम में यह घोषणा भी की गई कि खूंटी जिले के बाल कल्याण संघ द्वारा संचालित बाल मंच के बच्चों को एक दिन के लिए विधानसभा अध्यक्ष बनने का अवसर दिया जाएगा, ताकि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया, शासन व्यवस्था और अपने अधिकारों को नजदीक से समझ सकें। यह पहल बच्चों में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। सांसद महुआ माजी की टिप्पणी कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि झारखंड सरकार बाल तस्करी के विरुद्ध अत्यंत सशक्त और संवेदनशील कदम उठा रही है।कार्यक्रम में योजना विकास सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि सरकार और गैर-सरकारी संगठन बाल श्रम और बाल तस्करी के खिलाफ लगातार काम कर रहे हैं, परंतु केवल संस्थागत प्रयासों से यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। समुदाय की जागरूकता, सतर्कता और समय पर सूचना देना इस संघर्ष का सबसे प्रभावी हथियार है। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में आज भी अनेक घरों में बच्चों से घरेलू काम कराया जाता है, लेकिन लोग ऐसे मामलों को अनदेखा कर देते हैं। जबकि एक छोटी-सी सूचना कई बच्चों का जीवन बदल सकती है। समय पर की गई रिपोर्टिंग से सरकारी एजेंसियाँ तुरंत हस्तक्षेप कर बच्चों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करा सकती हैं। मुकेश कुमार ने कहा कि बाल अधिकारों के उल्लंघन के प्रति शून्य-सहिष्णुता तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक स्वयं को इस लड़ाई का सक्रिय योद्धा माने। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी बच्चे को संकट में देखें तो तुरंत सूचना दें, क्योंकि समुदाय स्वयं अपने क्षेत्र का पहला प्रहरी होता है और उसकी सतर्कता ही बच्चों को सुरक्षित भविष्य दे सकती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 20, 2025, 20:18 IST
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