Jhansi: सुविधाओं के अभाव से दम तोड़ रहा रानीपुर का हथकरघा उद्योग, बुनकरों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

देश के कोने-कोने में रानीपुर टेरीकाॅट के नाम से विख्यात कपड़ा उद्योग वर्तमान में तौलिया, बेडशीट एवं गमछा तक सिमट कर रह गया है। कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने में सरकारी सुविधाओं का लाभ बुनकरों का नहीं मिल पा रहा है। जिस कारण यह उद्योग गति नहीं पकड़ सका। बुनकरों के कपड़ा व्यवसाय में जहां सुविधाओं का अभाव रहा है। वहीं सरकार से मिलने वाली योजनाएं वास्तविक बुनकरों तक नहीं पहुंच सकी। गौरतलब है कि पूर्व में कस्बा में बना कपड़ा रानीपुर टेरीकाॅट के नाम से समूचे देश में विख्यात था। उसकी अपनी एक पहचान थी। कपड़ा उद्योग से प्रत्येक बुनकर के समूचे परिवार को काम मिल रहा था। जहां बुनकर हथकरघा पावरलूम आदि चलाते थे तो घर की महिलाएं काड़ीं भरकर तैयार करतीं थीं। कस्बा में कुशल कारीगरों की भी कमी नहीं है मगर सरकारी सुविधाओं बिजली, सस्ता धागा न मिलना, सरकारी सुविधाओं का अभाव, मार्केटिंग, प्रोसेसिंग प्लांट आदि के अभाव में बुनकर अपने धंधे को गति नहीं दे सका। कस्बा में क्रय, विक्रय केंद्र, प्रोसेसिंग प्लांट, बुनकरों को सस्ती बिजली का अभाव रहा है। जिससे बुनकरों को अपने कपड़े का वास्तविक दाम नहीं मिल सका। कस्बा में कुशल कारीगरों की कमी नहीं है लेकिन उसे सुविधाओं का अभाव रहा। सर्वे कर जो वास्तविक बुनकर है उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिले तो कपड़ा उद्योग गति पकड़ सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 13, 2025, 08:15 IST
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