क्या दुनिया बदल रही है: पहले जिनपिंग-ट्रंप की ऐतिहासिक जी-2 बैठक... अब रक्षा मंत्री हेगसेथ चीनी समकक्ष से मिले

दक्षिण कोरिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ऐतिहासिक जी-2 बैठक के बाद अब अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और उनके चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जुन के बीच सैन्य संचार चैनल स्थापित करने पर जो सहमति बनी है, वह वैश्विक राजनीति में आए एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाती है। दिलचस्प यह है कि इससे कुछ ही घंटे पहले हेगसेथ एक अलग ही अंदाज में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आह्वान कर रहे थे कि वे दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा फैलाई जा रही अस्थिरता से मुकाबला करने के लिए दृढ़ रहें और अपनी समुद्री सेना को मजबूत बनाएं। दरअसल, दक्षिण चीन सागर, ताइवान और टैरिफ से जुड़े मुद्दों के चलते दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था, लेकिन अमेरिकी व चीनी राष्ट्रपतियों की मुलाकात के बाद से द्विपक्षीय रिश्तों पर जमी बर्फ जब पिघलने लगी है, तो यह स्वाभाविक ही है कि उसका असर ट्रंप के करीबी माने जाने वाले हेगसेथ के रुख में भी दिखे। यह सही है कि ट्रंप एक व्यवसायी हैं, और वह राजनीति भी उसी ढंग से करते हैं। लेकिन, चीन को लेकर अमेरिका के रुख में बदलाव अगर इस कदर आया है कि वहां के रक्षा मंत्री कह रहे हैं कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध इससे बेहतर कभी नहीं रहे, तो इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या वैश्विक व्यवस्था वाकई बदल रही है। नहीं भूला जा सकता कि दक्षिणी चीन सागर एशिया के सर्वाधिक अस्थिर क्षेत्रों में से एक बना हुआ है, जहां बीजिंग तकरीबन पूरे क्षेत्र पर, तो आसियान के सदस्य फिलीपीन, वियतनाम, मलयेशिया और ब्रुनेई भी इसके तटीय क्षेत्रों पर दावा करते रहे हैं। फिलीपीन के साथ तो चीनी समुद्री बेड़े का अक्सर टकराव होता रहता है, लेकिन चूंकि बीजिंग आसियान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, आसियान इस मामले में कड़े कदम नहीं उठा पाता। हाल ही में, भारत ने भी अमेरिका के साथ दस वर्षीय रक्षा साझेदारी की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण बताया है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के पीछे अमेरिका ही मुख्य शक्ति रहा है। यही नहीं, 2017 में अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने क्वाड को पुनर्जीवित किया था, जब उनके प्रशासन ने पहली बार चीन को एक रणनीतिक खतरे और प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया था। ऐसे में, क्षेत्र की राजधानियों में चिंताओं व उनके सवालों के मद्देनजर सैन्य स्तर पर चीन के साथ बातचीत करने का अमेरिका का फैसला आगे क्या रंग दिखाता है, यह देखने वाली बात होगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 04, 2025, 06:59 IST
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