ED: डिजिटल लर्निंग सेंटर के नाम पर जुटाए 40 करोड़, यूं घुमाया पैसा; 400 चेकबुक...100 फोन व 200 सिम बरामद
जनता और बड़े निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए बड़ा खेल खेला गया। इसी आधार पर मेसर्स वरेनियम क्लाउड लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों ने सितंबर 2022 के अपने आईपीओ के जरिए लगभग 40 करोड़ रुपये जुटाए। कंपनियों की तरफ से यह दावा किया गया था कि इस राशि का इस्तेमाल छोटे शहरों में एज डेटा सेंटर और डिजिटल लर्निंग सेंटर स्थापित करने में किया जाएगा। कंपनी ने खुद को डिजिटल मीडिया, ब्लॉकचेन और एडटेक के क्षेत्र में एक तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी कंपनी के रूप में पेश किया। आईपीओ को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख व्यावसायिक समूहों और मीडिया संस्थानों के नामों का भी इस्तेमाल किया, जिससे कंपनी को जनता का विश्वास हासिल हुआ। हालांकि, वादा की गई परियोजनाएं कभी पूरी नहीं हुईं। टर्नओवर और बाज़ार मूल्य बढ़ाने के लिए झूठे लेनदेन और सर्कुलर मूवमेंट से धन का दुरुपयोग किया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुख्यालय जांच इकाई, नई दिल्ली ने मेसर्स वरेनियम क्लाउड लिमिटेड, इसके प्रवर्तक हर्षवर्धन साबले और अन्य संबद्ध संस्थाओं के खिलाफ चल रही जांच के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत पिछले सप्ताह बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। जांच एजेंसी ने मुंबई में कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। यह तलाशी, विश्वसनीय जानकारी के आधार पर की गई। इसमें वित्तीय अभिलेखों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी, धन के अनियमित लेन-देन और आपराधिक आय के संदिग्ध शोधन का संकेत मिला था। मेसर्स वरेनियम क्लाउड लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों ने सितंबर 2022 के अपने आईपीओ के जरिए लगभग 40 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने इस राशि का इस्तेमाल छोटे शहरों में डिजिटल लर्निंग सेंटर स्थापित करने में खर्च करने की बात कही थी। कंपनी ने खुद को डिजिटल मीडिया, ब्लॉकचेन और एडटेक के क्षेत्र में एक तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी कंपनी के रूप में पेश किया था। बाद में कंपनी द्वारा धन का दुरुपयोग किया गया। कारोबारी पैटर्न में कीमतों में कृत्रिम वृद्धि और उसके बाद शेयरों की भारी बिकवाली देखी गई, जो एक "पंप एंड डंप" योजना के अनुरूप थी। इसके जरिए, कंपनी के शेयरों को जानबूझकर भ्रामक दावों के ज़रिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। बाद में ऊंची कीमतों पर बेच दिया गया, जिससे जनता को धोखा मिला और असली निवेशकों को नुकसान हुआ।जब्त की गई सामग्री के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि जाली केवाईसी दस्तावेज़ों और नकली सिम कार्डों का उपयोग करके खोले गए खच्चर बैंक खातों का एक विशाल नेटवर्क मुंबई से संचालित किया जा रहा था। तलाशी के दौरान ऐसे खच्चर बैंक खातों से जुड़ी 400 से ज़्यादा चेकबुक और 100 से ज़्यादा दोहरे सिम वाले मोबाइल फ़ोनों में मौजूद 200 से ज़्यादा सिम कार्ड बरामद किए गए। इनमें से ज़्यादातर मुंबई के लोगों के नाम पर जारी किए गए थे। इन खातों का इस्तेमाल 150 से ज़्यादा फ़र्ज़ी और नकली कंपनियों के ज़रिए धन की हेराफेरी और रूटिंग के लिए किया जाता था, जिससे अवैध धन की उत्पत्ति का पता नहीं चलता था। तलाशी की कार्यवाही से लैपटॉप, हार्ड ड्राइव आदि जैसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी बरामद किए गए हैं।इनमें आपत्तिजनक सबूत मौजूद हैं। इन निष्कर्षों से कुछ छोटे कमरों से "ड्राअर कंपनियाँ" चलाने वाले एक सुनियोजित रैकेट का पर्दाफ़ाश होता है, जहाँ नकली पहचान, कई खच्चर बैंक खाते और प्रॉक्सी संचार चैनलों का व्यवस्थित रूप से जनता को ठगने और उनकी गाढ़ी कमाई को लूटने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। ईडी ने जाँच के दायरे में कई अन्य जुड़े हुए व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान की है। इस मामले में आगे की जाँच जारी है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 04, 2025, 19:01 IST
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