MP High Court: नाले के जहरीले पानी में सब्जियां उगाने पर हाईकोर्ट सख्त,जबलपुर कलेक्टर से मांगा जबाव
मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने जबलपुर में नाले के गंदे पानी से सब्जियां उगाए जाने को गंभीरता से लिया है। लॉ छात्र की तरफ से शहर में नाले के गंदे पानी में सब्जी उगाने के संबंध में पत्र लिखा गया था। युगलपीठ ने पत्र की सुनवाई जनहित याचिका की रूप में करते हुए कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के लिए कोर्ट मित्र के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर को नियुक्त किया है। उनकी तरफ से बताया गया कि सीवेज की गंदगी के साथ सबसे अधिक पानी डिटर्जेंट का ही होता है। विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि गंदे नालों का पानी बेहद खतरनाक है। इसलिए उनके पानी से सब्जी उगाना जनता की सेहत से सरासर खिलवाड़ है। ये भी पढ़ें:भोपाल में पेड़ काटने के मामले में HC का कड़ा रुख, सात अधिकारियों को किया तलब जबलपुर में कछपुरा व विजय नगर से लेकर कचनारी व आसपास के क्षेत्र में ओमती नाले के गंदे पानी से सब्जी उगाई जाती हैं। इसी तरह गोहलपुर से लेकर बेलखाड़ू के बघौड़ा व आसपास के कुछ गांवों में मोती नाले के संक्रमित पानी का उपयोग कर सब्जियों की खेती की जाती है। नाले के गंदे पानी में घुलनशील जहरीले तत्व लोगों की सेहत को खतरे में डाल रहे हैं। इस तरह की खेती पर अंकुश लगाने की मांग लंबे समय से उठ रही है, लेकिन जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी वे इससे बच रहे हैं। सभी विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। ये भी पढ़ें:हाईकोर्ट ने पन्ना के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश को किया निलंबित, दमोह के डीजे के बाद दूसरी कार्रवाई हाईकोर्ट को अवगत कराया गया कि कांचघर की पहाडिय़ों के पास से निकला ओमती नाला कभी ओमवती नदी के नाम से जाना जाता था। कालांतर में इसके दोनों तरफ आबादी बढ़ती चली गई।यह शहर के बीच में आ गया। अब केवल सेप्टिक टैंकों और बाथरूम से निकलने वाला पानी ही बहता है। यही हालात गोहलपुर क्षेत्र से गुजरे मोती नाले के हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन नालों का पानी बेहद खतरनाक और जहरीला हो सकता है। दलील दी गई कि नालों में सीवेज की गंदगी के साथ सबसे अधिक पानी डिटर्जेंट का ही होता है। डिटर्जेंट में भी सोडियम कार्बाेनेट मिला होता है। इससे हाइपरटेंशन, पोटेशियम की कमी, गैस, सूजन, सिरदर्द और एलर्जी जैसे रोग होते हैं। वहीं डिटर्जेंट में झाग बनाने के लिए सोडियम लारेथ सल्फेट का उपयोग होता है जिससे त्वचा में जलन, मुंहासे, मुंह के छाले और कैंसर भी हो सकता है। डिटर्जेंट में दाग हटाने के लिए एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट का उपयोग बेहद किया जाता है। इससे कपड़ों के दाग तो हट जाते हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 22, 2025, 12:30 IST
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